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Last Updated : बुधवार, 18 अक्टूबर 2023 (18:09 IST)

इजरायल हमास युद्ध: क्या यह सेकंड नकबा है, तो फिर होगा तीसरा विश्‍व युद्ध

इजरायल हमास युद्ध: क्या यह सेकंड नकबा है, तो फिर होगा तीसरा विश्‍व युद्ध - Palestine Second Nakba
Israel Hamas War: दुनिया में धर्म ने मनुष्य जाति को जो दिया उससे कहीं ज्यादा उसने छीन भी लिया है। धार्मिक कट्टरता ने मनुष्य को विभाजित करके दरबदर जीने के लिए छोड़ दिया है। यदि हम दुनिया में धर्म, जाति या राजसत्ता की क्रूरता के चलते बड़े पलायन की बात करें तो पहला बड़ा पलायन यादवों का हुआ था श्रीकृष्‍ण के साथ और दूसरा पलायन यहुदियों का हुआ था मूसा के साथ। तीसरा पलायन पारसियों का हुआ था जरथुस्त्र के साथ। अब यह नकबा क्या है यह भी इसी संदर्भ में जानना जरूरी है। 

पलायन का इतिहास:
- जर्मन में जब हिटलर ने यहूदी नरसंहार का तांडव किया था तब भी मानव जाति का सबसे बड़ा पलायन हुआ था। इस घटना को होलोकॉस्ट (1933–1945) के नाम से जाना जाता है। कहते हैं कि इस दौरान 60 लाख यहूदियों की हत्या कर दी गई थी और लाखों को पलायन करके फिलिस्तीन में बसना पड़ा था।
 
-  भारत विभाजन के समय पंजाब, सिन्ध आदि प्रदेशों के लाखों हिन्दुओं को अपना घरबार छोड़कर भारत के विभिन्न भागों में आकर बसने को मजबूर होना पड़ा था। इस दौरान डेढ़ लाख से ज्यादा हिन्दुओं का कत्लेआम किया गया। 10 लाख से ज्यादा हिंदू और सिखों का पलायन हुआ था। यही हालात 1971 में बांग्लादेश के हिन्दुओं के सामने पेश हुए थे।
 
- अफगानिस्तान पर जब अमेरिकी हमला हुआ था तो लगभग 5 लाख अफगानी लोगों ने ईरान और पाकिस्तान में शरण ली थी। दूसरी ओर पाकिस्तान में ही 6 लाख से अधिक अहमदी मुसलमानों ने अपना मुल्क छोड़कर चीन-पाक की सीमा पर शरण ले रखी है। जबरन धर्मांतरण के चलते हर साल पाकिस्तान से 5,000 हिन्दुओं का पलायन होता है। चीन की क्रांति के बाद लाखों तिब्बतियों को तिब्बत छोड़कर भारत में शरण लेना पड़ी थी।
 
- एक और जहां 90 के दशक में इस्लामिक आतंकवाद के कारण कश्मीरी पंडितों को अपनी मातृभूमि को छोड़कर पलायन करना पड़ा, तो दूसरी ओर कुछ वर्ष पूर्व 3 लाख से अधिक यजीदियों को खुद का स्थान छोड़कर दूसरे देशों में शरण लेना पड़ी है। आज भी पलायन जारी है।
क्या है नकबा?
अरबी में नकबा शब्द का अर्थ विनाश होता है। फिलिस्तीन के लोग इस शब्द का उपयोग 1948 के अरब-इजरायल युद्ध में हुई तबाही और विस्थापन के संदर्भ में करते हैं।
 
पहला नकबा:
14 मई 1948 को फिलिस्तीन का विभाजन करके यहूदियों के लिए एक नया देश इजराइल बनाया गया। इसके बाद यहूदियों को जो भूमि दी गई थी उस भूमि को फिलिस्तीन को खाली करना था। इस बंटवारे के बाद 7 लाख से ज्यादा फिलिस्तीनी लोगों को अपना घर-बार छोड़ने के लिए मजबूर किया गया। जिस तरह भारत विभाजन के समय दंगा फासाद और पलायन हुआ था उसी तरह यहां पर भी हुआ था। 15 मई का दिन दुनियाभर में मौजूद फिलिस्तीनियों के लिए साल का सबसे दुखभरा दिन होता है। वो इस दिन को 'नकबा' कहते हैं। 15 मई 1948 को फिलिस्तीनियों का बड़े पैमाने पर विस्थापन हुआ था। 15 मई को नकबा के रूप में मनाने की शुरुआत 1998 में फिलिस्तीन के राष्ट्रपति यासिर अराफात ने की थी।
 
दूसरा नकबा :
हमास के आतंकवादियों ने जिस बर्बर तरीके से इजरायल में हमला करके कत्लेआम किया उससे इजरायल का क्रोध अब सातवें आसमान पर है। गाजा पर लगातार एयर स्ट्राइक के चलते हजारों लोग मौत की नींद सो गए हैं। इस बीच इजरायल ने अब गाजा पट्टी के 11 लाख लोगों को दक्षिण की ओर जाने को कहा है। इससे गाजा में भीषण पलायन की स्थिति हो गई है और लोग सामान के साथ दक्षिण की ओर जा रहे हैं। फिलिस्तीन लोग इसे दूसरा नकबा कह रहे हैं। गाजा की आबादी 23 लाख है, जिसमें से 11 लाख से ज्यादा लोग उत्तरी गाजा में रहते हैं।
 
क्या होगा अब तीसरा विश्‍व युद्ध?
हमाज और इजरायल के इस युद्ध ने अब धार्मिक कट्टरता का रूप ले लिया है। दुनियभर के मुस्लिम देश इजरायल के खिलाफ एकजुट हो रहे हैं जिसमें ईरान, पाकिस्तान और तुर्की के लोग बढ़चढ़कर आगे आ रहे हैं। ईरान ने फिलिस्तीन में लड़ने के लिए मुसलमानों को अच्छा पैकेज देने की घोषणा की है। दूसरी ओर अमेरिका ने भी हथियार और फाइटर जेट देकर इजरायल की शक्ति को बढ़ा दिया है। इसी के साथ ही अमेरिका भी अपने सैनिक युद्ध में उतारने की तैयारी कर रहा है। यदि ऐसा होता है तो आने वाले समय में यह धार्मिक युद्ध विश्‍व युद्ध में बदल सकता है।