बुधवार, 24 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. धर्म-दर्शन
  3. हिन्दू धर्म
  4. Shri Radha 32 Names
Written By

Shri Radha Names : श्री राधा जयंती पर पढ़ें राधा रानी के 32 नाम

Shri Radha Names : श्री राधा जयंती पर पढ़ें राधा रानी के 32 नाम - Shri Radha 32 Names
14 सितंबर को श्रीकृष्ण की प्रियतमा श्री राधा जी की जयंती मनाई जाएगी। शास्त्रों में इस तिथि को श्री राधाजी का प्राकट्य दिवस माना गया है। सनातन धर्म में भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि श्री राधाष्टमी के नाम से प्रसिद्ध है।

अगर आप भी जीवन में सुख, प्रेम और शांति का वरदान चाहते हैं और अपार धन-संपत्ति की कामना रखते हैं तो आपको राधाष्टमी के दिन श्री राधा जी के इन 32 नामों का स्मरण अवश्य करना चाहिए। श्री राधा जी के यह नाम रिश्तों को मिठास, ताजगी से भर देते हैं। यहां पढ़ें श्री राधा जी के 32 पवित्र नाम-
 
राधा रानी के 32 नाम
 
1. मृदुल भाषिणी राधा ! राधा !!
2. सौंदर्य राषिणी राधा ! राधा !!
3. परम् पुनीता राधा ! राधा !!
4. नित्य नवनीता राधा ! राधा !!
5. रास विलासिनी राधा ! राधा !!
6. दिव्य सुवासिनी राधा ! राधा !!
7. नवल किशोरी राधा ! राधा !!
8. अति ही भोरी राधा ! राधा !!
9. कंचनवर्णी राधा ! राधा !!
10. नित्य सुखकरणी राधा ! राधा !!
11. सुभग भामिनी राधा ! राधा !!
12. जगत स्वामिनी राधा ! राधा !!
13. कृष्ण आनन्दिनी राधा ! राधा !!
14. आनंद कन्दिनी राधा ! राधा !!
15. प्रेम मूर्ति राधा ! राधा !!
16. रस आपूर्ति राधा ! राधा !!
17. नवल ब्रजेश्वरी राधा ! राधा !!
18: नित्य रासेश्वरी राधा ! राधा !!
19. कोमल अंगिनी राधा ! राधा !!
20. कृष्ण संगिनी राधा ! राधा !!
21. कृपा वर्षिणी राधा ! राधा !!
22: परम् हर्षिणी राधा ! राधा !!
23. सिंधु स्वरूपा राधा ! राधा !!
24. परम् अनूपा राधा ! राधा !!
25. परम् हितकारी राधा ! राधा !!
26. कृष्ण सुखकारी राधा ! राधा !!
27. निकुंज स्वामिनी राधा ! राधा !!
28. नवल भामिनी राधा ! राधा !!
29. रास रासेश्वरी राधा ! राधा !!
30. स्वयं परमेश्वरी राधा ! राधा !!
31. सकल गुणीता राधा ! राधा !!
32. रसिकिनी पुनीता राधा ! राधा !!
 
कर जोरि वन्दन करूं मैं_
नित नित करूं प्रणाम_
रसना से गाती/गाता रहूं_
श्री राधा राधा नाम !!
 
ब्रह्मवैवर्त पुराण में स्वयं श्री हरि विष्णु जी ने कहा है कि जो व्यक्ति अनजाने में भी राधा कहता है उसके आगे मैं सुदर्शन चक्र लेकर चलता हूं। उसके पीछे स्वयं शिव जी उनका त्रिशूल लेकर चलते हैं। उसके दाईं ओर इंद्र वज्र लेकर चलते हैं और बाईं तरफ वरुण देव छत्र लेकर चलते हैं। जो भी भक्त श्रद्धापूर्वक राधा जी के इन नामों का आश्रय लेता है वह प्रभु की गोद में बैठ कर उनका स्नेह पाता है। 

ये भी पढ़ें
आज से श्री महालक्ष्मी व्रत का प्रारंभ, जानिए महत्व, कथा, प्रसाद, पूजन विधि एवं मुहूर्त