गुरुवार, 19 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. धर्म-दर्शन
  3. हिन्दू धर्म
  4. Khatu Shyam Mela
Written By

4 मार्च को खाटू श्याम मेला, जानिए 10 खास बातें

4 मार्च को खाटू श्याम मेला, जानिए 10 खास बातें - Khatu Shyam Mela
भगवान श्रीकृष्ण के वरदान के चलते कलियुग में आज भीम के पुत्र घटोत्कच और घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक को ही खाटू श्यामजी के नाम से पूजा जाता है। वे बहुत शक्तिशाली थे। जहां श्री कृष्ण ने उनका कटा हुए शीश रखा था उस स्थान का नाम खाटू है। यहां पर प्रतिवर्ष मेला लगता है। मेले में बाबा श्याम के लाखों भक्त एकजुट होते हैं।
 
क्यों लगता है मेला : खाटू श्याम अर्थात मां सैव्यम पराजित:। अर्थात जो हारे हुए और निराश लोगों को संबल प्रदान करता है। खाटूश्याम जी का जन्मोत्सव हर साल कार्तिक शुक्ल पक्ष की देवउठनी एकादशी को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। जबकि कहते हैं कि जब बर्बरीक से श्रीकृष्ण ने शीश मांगा तो बर्बरीक ने रातभर भजन किया और फाल्गुन शुक्ल द्वादशी को स्नान करके पूजा की और अपने हाथ से अपना शीश काटकर श्रीकृष्ण को दान कर दिया। इसी दिन की याद में इसी दिन की तिथि को मेला लगता है। अंग्रेंजी कैलेंडर के अनुसार इस बार यह मेला 4 मार्च को आयोजित किया जा रहा है।
 
1. कहां है परमधाम खाटू श्याम : राजस्थान के शेखावाटी के सीकर जिले में स्थित है परमधाम खाटू। यहां विराजित हैं भगवान श्रीकृष्ण के कलयुगी अवतार खाटू श्यामजी। श्याम बाबा की महिमा का बखान करने वाले भक्त राजस्थान या भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के कोने-कोने में मौजूद हैं।
 
2. बहुत प्राचीन मंदिर : खाटू का श्याम मंदिर बहुत ही प्राचीन है, लेकिन वर्तमान मं‍दिर की आधारशिला सन 1720 में रखी गई थी। इतिहासकार पंडित झाबरमल्ल शर्मा के मुताबिक सन 1679 में औरंगजेब की सेना ने इस मंदिर को नष्ट कर दिया था। मंदिर की रक्षा के लिए उस समय अनेक राजपूतों ने अपना प्राणोत्सर्ग किया था।
 
3. यहां लगता है मेला : इसी मंदिर परिसर में लगता है बाबा खाटू श्याम का प्रसिद्ध मेला। हिन्दू मास फाल्गुन माह शुक्ल षष्ठी से बारस तक यह मेला चलता है। ग्यारस के दिन मेले का खास दिन रहता है।
 
4. लाखों श्रद्धालु आते हैं यहां : राजस्थान के सीकर जिले के खाटूधाम में भरने वाले बाबा श्याम के इस वार्षिक मेले में तकरीबन 30-40 लाख श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान है। दो वर्ष कोरोना के कारण यहां लोग नहीं पहुंच पा रहे थे लेकिन इस वर्ष यहां संख्या बढ़ने वाली है।
5. निशान यात्रा : हर जगह से श्रद्धालु खाटू नगरी में बाबा के दर्शन के लिए आते हैं जिनमें कुछ श्रद्धालु रिंगस से पदयात्रा के सात निशान यात्रा करते हुए बाबा के धाम पहुंचते हैं। निशान यात्रा करते समय भक्तगण बाबा खाटूश्याम जी का ध्वजा/नारियल के साथ-साथ बाबा जी की झांकी भी निकालते हैं।
 
6. ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन : बाबा के दर्शनों के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। संपूर्ण मेला क्षेत्र 24 घंटे सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में रहता है।
 
7. पार्किंग व्यवस्था : यदि आप अपने निजी वाहन से यात्रा करके यहां पहुंच रहे हैं तो तोरण द्वार के पास पार्किंग की व्यवस्था है। जहां तक संभव हो सके आप अपना वाहन रींगस में ही पार्क करे दें ताकि आपको किसी भी प्रकार की असुविधा न हो। यदि आप अपने परिवार सहित खाटूधाम आते हैं तो बच्चों का विशेष ध्यान दें। उनके जेब में नाम, पता व मोबाइल नम्बर की पर्ची जरूर रखें।
 
8. वीआईपी व्य‍वस्था नहीं है : बाबा श्याम के दरबार में किसी भी प्रकार की वीआईपी व्य‍वस्था नहीं है। सभी को लाइन में लगकर दर्शन लाभ लेना होते हैं।
  
9. कैसे पहुंचें : बाबा श्याम के दर्शन को खाटूधाम आने के सड़क, रेल और वायु मार्ग है। जयपुर के सांगानेर एयरपोर्ट से देश सहित विदेशों की उड़ाने हैं। जहां से 100 किमी दूरी से टेक्सी के जरिए आया जा सकता है। वहीं जयपुर, रींगस और सीकर रेल मार्ग से जुड़े हुए हैं। दिल्ली से सड़क मार्ग से गुडग़ाव, कोटपूतली, नीमकाथाना, श्रीमाधोपुर से रींगस होते हुए बस व कार से खाटू आया जा सकता है।
 
10. मेले में प्रतिबंध : यात्रीगण मेले में व्यवस्था बनाए रखें। धर्मशाला, होटलों में बिना पहचान पत्र के यात्रियों को नहीं रखा जा सकेगा। मेले के दौरान डीजे, साउण्ड सिस्टम पर प्रतिबंध रहेगा। हारे का सहारा खाटू श्याम हमारा।
ये भी पढ़ें
आमलकी एकादशी के दिन करें ये 5 शुभ कार्य, होगा धनलाभ