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Written By WD Feature Desk

फाल्गुन माह के कृष्‍ण पक्ष की एकादशी को क्यों कहते हैं विजया एकादशी?

फाल्गुन माह के कृष्‍ण पक्ष की एकादशी को क्यों कहते हैं विजया एकादशी? - falgun vijaya ekadashi Importance
Vijaya Ekadashi
 
HIGHLIGHTS
 
• आज फाल्गुन मास के कृष्‍ण पक्ष की एकादशी है।
• विजया एकादशी का महात्म्य यहां पढ़ें।
• फाल्गुन कृष्ण एकादशी और विजया एकादशी के बारे में महत्व जानें। 
Vijaya Ekadashi : वर्ष 2024 में फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत 06 मार्च, दिन बुधवार को रखा जा रहा है। इस दिन भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजन करके उन्हें प्रसन्न किया जाता है। इस एकादशी का नाम विजया एकादशी है। नाम के अनुसार ही यह एकादशी हर क्षेत्र में विजय दिलाने में सक्षम है। 
 
पौराणिक ग्रंथों के मुताबिक फाल्गुन कृष्ण एकादशी का व्रत सबसे पहले मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने किया था। इसके बाद से यह व्रत हर युग में रखा जाने लगा। मान्यतानुसार जो व्यक्ति इस दिन सच्चे मन से व्रत रखकर श्रीहरि विष्णु जी की पूजा करता है, उसके सभी कार्य पूरे और सफल होते हैं। उसे दुश्मनों पर जीत मिलती है। अत: धार्मिक शास्त्रों के अनुसार विजया एकादशी व्रत सफलता तथा मनोकामना पूर्ण करने के उद्देश्य से किया जाता है।

 
फाल्गुन मास के कृष्‍ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी क्यों कहते हैं, इसके संबंध में एक वृत्तांत मिलता है कि लंका पर चढ़ाई के समय जब प्रभु श्रीराम और उनकी सेना के मार्ग में सागर बाधक बना था, तब लक्ष्मण के कहने पर श्रीराम ने वकदाल्भ्य मुनि के आश्रम जाकर उन्हें अपनी समस्या कही थीं और मुनि ने राम जी को अपनी सेना सहित फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत रखने की सलाह दी थी और कहा था कि इस व्रत से आप विजयी होंगे। 
 
वकदालभ्य ऋषि ने कहा कि, इस व्रत की विधि यह है कि दशमी के दिन स्वर्ण, चांदी, तांबा या मिट्‍टी का एक घड़ा बनाएं। उस घड़े को जल से भरकर तथा पांच पल्लव रख वेदिका पर स्थापित करें। उस घड़े के नीचे सतनजा और ऊपर जौ रखें। उस पर श्री नारायण भगवान की स्वर्ण की मूर्ति स्थापित करें।

एका‍दशी के दिन स्नानादि से निवृत्त होकर धूप, दीप, नैवेद्य, नारियल आदि से भगवान की पूजा करें। तत्पश्चात घड़े के सामने बैठकर दिन व्यतीत करें और रात्रि को भी उसी प्रकार बैठे रहकर जागरण करें। द्वादशी के दिन नित्य नियम से निवृत्त होकर उस घड़े को ब्राह्मण को दे दें। हे राम! यदि तुम भी इस व्रत को सेनापतियों सहित करोगे तो तुम्हारी विजय अवश्य होगी। 

 
तब श्रीराम ने अपनी सेना समेत मुनि वकदाल्भ्य के बताए नियमों के अनुसार इस एकादशी का व्रत रखा था और सागर पर पुल का निर्माण कर लंका पहुंच कर दशानन रावण पर विजय पाई थीं। अत: तब से ही फाल्गुन कृष्ण एकादशी को विजया एकादशी के रूप में माने जाने की मान्यता है।
 
विजया एकादशी अपने नाम के अनुसार ही फल भी देती है। इस दिन व्रत करने से हर तरह के पाप से मुक्ति तथा मनचाहा फल प्राप्त होता है। और मनुष्य को जीवन के हर क्षेत्र में विजय मिलती है। 
 
अत: धार्मिक ग्रंथों के अनुसार विजया एकादशी का व्रत सब व्रतों से उत्तम व्रत है, इस दिन व्रत के महात्म्य के श्रवण व पठन से समस्त पाप नाश को प्राप्त हो जाते हैं। तथा यह व्रत पुराने तथा नए पापों को नाश करने वाला भी माना गया है। यह एकादशी समस्त मनुष्यों को विजय प्रदान करती है। ऐसी फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की विजया एकादशी की महिमा है। 
 
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Vijaya Ekadashi 2024