• Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. »
  3. साहित्य
  4. »
  5. कथा-सागर
Written By WD

चौखट

चौखट -
- डॉ. सतीश दुबे
ND

चौखट-पूजा वाले दिन श्रीफल बदार कर मंत्रबद्ध पूजन सामग्री सहित लाल कपड़े में बाँधी गई छोटी-सी पोटली मस्तिष्क में उभरकर आँखों के सामने आ गई। चौखट में दरवाजे का लगना और फिर मंगल-प्रवेश।

शादी होने के पूर्व तक का खुशनुमा जीवन जीने तथा स्कूल से कॉलेज तक की शिक्षा के लिए सब बच्चे इसी चौखट से निकले। बाहर से लाई गई खुशियों को घर में बाँटे जाने वाले मंसूबों से लदे चरण की उल्लासभरी थिरकन इसने महसूस की।

देश-विदेश से उपलब्धियाँ प्राप्त कर लौटे बेटों त‍था पहली बार आए दामादों का स्वागत भी तो सबसे पहले इसी ने किया। यही नहीं शुभ्र-वस्त्र पर हल्दी भरे चरण-चिह्न अंकित कर छुई-मुई-सी लजाती-शरमाती लक्ष्मीरूपा बहुओं का आं‍तरिक हर्ष-वाद्यों के साथ प्रवेश हेतु आग्रह कर रही गृह-तपस्विनी की छवि को इसने एलबम की तरह अपने में समाए रखा है।
  चौखट-पूजा वाले दिन श्रीफल बदार कर मंत्रबद्ध पूजन सामग्री सहित लाल कपड़े में बाँधी गई छोटी-सी पोटली मस्तिष्क में उभरकर आँखों के सामने आ गई। चौखट में दरवाजे का लगना और फिर मंगल-प्रवेश।      


यदि मन के सूक्ष्म-यंत्रों से देखा जाए तो बेटियों को बिदा करते वक्त टपकी आँसुओं की ढेर सारी बूँदें भी यहाँ दिखाई देंगी। इस मायने में खुशी ही नहीं न जाने कितने दर्द और कोलाहल की प्रतिध्वनियों को इस चौखट ने अपने में ज़ज्ब कर रखा है।

अंकित, प्रेक्षा, प्रीतांशु, पुनर्वसु तथा सूर्यांश अब तो बड़ों-बड़ों के कान काटने लगे हैं किंतु इन्होंने जन्मदात्रियों की गोद में टुकुर-टुकुर आँखें घुमाते हुए इसी चौखट से तो प्रवेश कर जीवन को सँवारने की शुरुआत की।

अकबर महान के 'बुलंद दरवाजा' की तरह दो दक्षिणमुखी प्रवेश-द्वार इतनी उपलब्धियों की नींव पर खड़ा हो उसे अनिष्टकारी कैसे माना जा सकता है।

मस्तिष्क से अंतिम निर्णायक-सूत्र मिलते ही उन्होंने निगाहें घुमाकर सामने बैठे वास्तुशास्त्री तथा भवन-निर्माता की ओर देखा तथा दृढ़ता से बोले- 'मि. फेंगशुई, क्षमा कीजिएगा वास्तु सिद्धांतों को अमल में लाने के लिए मैं अतीत की सुखद इमारत पर हथौड़ा नहीं चला सकता...।'