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लफ्ज़ों की नरमी पे मत जाना कभी : नई ग़ज़ल

बुधवार,जून 7, 2023
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नज़रों से ही नहीं अधरों से भी कुछ तो बात करें कोरा है जीवन का कागज़ लफ्ज़ों की बरसात करें कहने को तो सारी दुनिया है मेरे आँचल में समाई चलो अब सातो आसमान से मिलने की शुरुआत करें मेरी हर एक बात में हो छंद हर साँस में हो गंध आओ मन उपवन में ...
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एक और पेड़- 5 जून मैंने कोई कविता नहीं लिखी...एक दिन में कुछ शब्दों में प्रकृति की खूबसूरती समेट कैसे पाती....कैसे लिखा जाता हरे रंग का तस्वीरों से गायब हो जाना,कैसे शब्दों में पिरोए जाते कुल्हाड़ी के वार हाथों के घेरे से भी बड़े तनों पर चल रही ...
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भारतीय कवि और संत कबीर दास जी 15वीं सदी के संत थे। वर्ष 2023 में संत कबीर दास की जयंती रविवार, 04 जून को मनाई जाएगी। उनके दोहे आज भी सभी के लिए पथ प्रदर्शक के रूप में प्रासंगिक है। यहां पाठकों के लिए प्रस्तुत हैं कबीर के सर्वाधिक प्रसिद्ध व लोकप्रिय ...
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जीवन को सुरभित कर लो और सारे जग को महकाना, इस विद्या को चंदन से, ज्यादा कब किसने पहचाना, लता विटप और कंद मूल फल फूल सभी का है कहना, मत कमतर आंको हमको, हम हर प्राणी का है गहना, प्राणों की रक्षा हम करते, रोगों को भी हर लेते...
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ख़ुशबू उड़ाती, रंगतवाली तेज़ चटकती अदरकवाली दूधो नहाती है, छनछन उबलती है बलखाती इतराती प्याली में उतरती है गुलज़ार लम्हों सी होती है चाय इतवार की नींद सी होती है चाय चाहे जितनी मिल जाए दिल कहता है... थोड़ी और, थोड़ी और
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तब मां तुम बहुत याद आती हो जब दिल में दर्द उठता है ख्वाबों का महल टूटता है जब आस कहीं छूटती है और चोट कहीं लगती है सच, मां तुम बहुत याद आती हो Hindi Poem Hindi kavita Maa par
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मां की थपकी नींद की गोली, मां ही मेरा चंदा सूरज है। मां का काजल मेरा गहना, मां ही मेरा डिठौना है। नज़र लगे ना मुझको कभी, मां राई मिर्ची सुरक्षा है।best poem for Mother's Day 2023 in hindi
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आंखों में स्नेहयुक्त लालसा के साथ जब तुम्हें तकता पाती हूं सच कहती हूं तब तुम मुझको मां नहीं लगती. अब भी हो तुम अटल स्थान पर अपने, आंचल से अपने बुहार कर पगडंडियों को राहें बनाती, दिशा ज्ञान कराती. देखती हूं जब तुम्हें नींव का पत्थर ...
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मां की पिटारी याद बहुत आती है, मां की वो पिटारी कहने को मां का घर पूरा अपना था पर मां का पूरा संसार उस पिटारी में बसता था
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मां मेरी सखी थी एक सखी मेरी दुनिया में सबसे प्यारी थी वो सबसे न्यारी मेरे जन्म से पहले हम एक-दूजे के हो गए भूल दुनिया को जैसे हम गए। पाकर मुझे वो थी प्रफुल्लित अपार दिन हो रात बस लुटाती प्यार ही प्यार सब नाज़ो नखरे मेरे वो उठाती लेकर ...
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डॉक्टर्स यदि भगवान होते हैं, तो देवियां हुआ करती हैं नर्स, सारा श्रेय लूट ले जाते भगवान, यथेष्ठ से बहुत कम पाती हैं नर्स, मां की गोद मिलती है तनिक देरी से, पहले मिलता है इनके हाथों का स्पर्श, सहायता के लिए नर्स न हों तो, ऑपरेशन का हो जाए बेड़ा
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मां, मां कलम है, दवात है, स्याही है, मां, मां परमात्मा की स्वयं एक गवाही है। मां, मां त्याग है, तपस्या है, सेवा है, मां, मां फूंक से ठंडा किया हुआ कलेवा है। मां, मां अनुष्ठान है, साधना है, जीवन का हवन है, मां, मां जिंदगी के मोहल्ले में आत्मा का भवन ...
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मैं फूल हूं उसकी बगिया का जिसे देखकर वह मुस्काती थी मेरी हर हरकत को देख देख वह मन ही मन खिल जाती थी हर हवा का रुख पहचानती थी मुझको आंचल से ढक लेती थी छोटी सी पीड़ा पर भी वो यूं नजर उतारा करती थी फिर एक दिन एक मुसाफिर का उस फूल पर दिल मचलाया ...
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भाग्यशाली हूं मैं बहुत आप मेरी मां हो.... मणिकर्णिका घाट सी पवित्र जिसमें मैं अपने सारे दर्द को विसर्जित कर सुकून पा जाती मां आप अंतहीन संघर्ष का अंत मां आप मेरी सुबह की आवाज गुनगुनी धूप गांव की सांझ ... Poem about Mother in Hindi
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मां तुम जीवन आधार मां संरक्षण की अभेद्य दीवार घुट्टी संग पिलाती संस्कार वात्सल्य,अमृत जीवन का मां तुम जीवन आधार। Poem on mothers day 2023
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मां तू बहुत याद आती हौले से चपत लगाकर के सूरज संग मुझे जगा देती जो मेरे सपने सजाती थी वो सपनों में क्यूं समा गई ए मां ! तू बहुत याद आती
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माँ!! मां, तू गर थोड़ा समझाती, मां, गर थोड़ा तू घबराती। तो अपने भविष्य की इबारत भी अपने हाथों से लिख जाती। हम नन्हे-नन्हे बच्चे थे। मति के थोड़े कच्चे थे। पर दिल के पूरे सच्चे थे। तू तो अल्हड़, दीवानी थी। सारी दुनिया से अनजानी थी। तेरे ...
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Happy Mothers Day 2023 Poems मां कैसे लिखूं तुझे तो शब्दों में कहां समाती है, कैसे करूं परिभाषित तुझे तू कहां समझ में आती है कैसे रोटियों की गिनती में तेरी भूख मर जाती है, बच्चों की हर आहट तू नींद से जग जाती है, कैसे हर चोट पर ममता की ...
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Happy mothers day poems मां जिसने अपना दूध पिलाकर, हमको पाला पोसा है। खुद भूखे रहकर भी जिसने, हमको अन्न परोसा है। जिसने हम पर आने वाली, विपदाओं को झेला है। जिसका हृदय विशाल उदधि के, जैसा व्यापक फैला है। जिसने खुद के सुख को हम पर, न्योछावर ...
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