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फिर संजोए क्षण
अश्वघोष फिर तुम्हारी याद आई आजफिर रचे मैंने अनोखे कई सुंदर गीतफिर जगाया नींद में सोया हुआ संगीतफिर किया मैंने किसीएकांत का अनुवादफिर सजाए मेज के गुलदान में कुछ फूलफिर बटोरे देह की पगडंडियों के शूल फिर लिखे हँसते हुएग़मगीन कुछ संवादफिर दिखाए धूप को तुमने लिखे जो खतफिर संजोए क्षण, कभी जो हार गए आहतफिर किए भूले हुएआधे-अधूरे काज।साभार : अक्षरा