बुधवार, 24 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. साहित्य
  3. काव्य-संसार
  4. Poetry on Triple Talaq
Written By

तीन तलाक बिल पर हिन्दी में कविता : बधाई बधाई बधाई

तीन तलाक बिल पर हिन्दी में कविता : बधाई बधाई बधाई - Poetry on Triple Talaq
-बकुला पारेख
 
कबूतर-सी फड़फड़ाती रहती थी जिंदगी शादी के बाद हर स्त्री की 
क्या वजूद था उनका अपना?
जो पति कहे, हां में हां मिलाना था
हर स्त्री को।
 
मुख पर तो पर्दा डाले ही रहती थी 
अपनी इच्छाओं को भी दबाना होता था हर स्त्री को।
 
अपनी आगामी पीढ़ी को भी 
यही सब कुछ देना होता था
हर स्त्री को।
 
लाठी जब उसकी पड़ी है कानून के रूप में
अब जीवन जीना है, खुशहाल आजाद पंछी की तरह उन स्त्रियों को 
बधाई बधाई बधाई उन सब छोटी-बड़ी बहनों को।
ये भी पढ़ें
Triple Talaq Bill : तीन तलाक़ अमानवीय और असंवैधानिक था