बुधवार, 24 अप्रैल 2024
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हिन्दी कविता : चुनावी रंगमंच से

हिन्दी कविता : चुनावी रंगमंच से। Election Poem - Poem on Election
कितने संदेश दे गया उनका वह रोड शो बनारस का।
तोड़ गया सारी सीमाएं, श्रद्धा-उफान जन-मानस का।।
प्रतिद्वंद्वियों को दिन में भी सूरज न दिखे तो किसका दोष।
पुष्पवृष्टि में बरसा अनंत जन-मन का आशीर्वादी जोश।।
और जयकारों में गुंजित था अभिनंदन उनके साहस का।।1।।
 
हर चैनल इंटरव्यू लेकर महिमा गा रहा मोदी की।
उनको ही अधिक समय देकर लहर बना रहा मोदी की।।
सारे गठबंधी सिर पीट रहे, गालियां दे रहे, खीझ रहे,
सट्टा बाजार भी धमाकेदार वापसी बता रहा मोदी की।।2।।
 
धारणा बनी कि उनका दक्षिण को पलायन हुआ पराजय की शंका में।
मोदी का कर सके सामना ऐसा साहस है कहां प्रियंका में।
केरल में अब उग्रवादियों की पीठ थपाना होगा कठिन,
सांप्रदायिक दर्दनाक हादसा हुआ जो हाल में लंका में।।3।।

 
वे कहते थे मैं बोलूंगा तो आ जाएगा भूचाल।
मोदी की साख का ग्राफ पहुंच जाएगा पाताल।।
राफेल डील पर भी चीख-चिल्लाहट कर पाई न कमाल।।
अब मोदी की वापसी के लिए उन्हें ही जिम्मेदार बता रहे केजरीवाल।।4।।
 
इस बार चुनावी जुमलों ने औचित्य की हर सीमा को तोड़ दिया।
भारतीय संस्कृति की सहिष्णु आत्मा को भीतर तक झंझोड़ दिया।।
लानत है उन इतराते, अल्पबुद्धि, कथित नेताओं पर जो
युवा मतदाताओं के सामने मर्यादाओं को, एक घातक दिशा में मोड़ दिया।। 5।।
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