रविवार, 22 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. साहित्य
  3. काव्य-संसार
  4. poem on durga puja

दुर्गोत्सव पर कविता : आई हो मां जो इस दफा

दुर्गोत्सव पर कविता : आई हो मां जो इस दफा - poem on durga puja
मां आई हो जो इस दफा तो जाना नहीं
रुको देखो जरा गिरते हुए मानदंडों को
बिखरते मुक्त स्वप्नों को
 
देखो कितना सन्नाटा सा फैला है
हर चूड़ी की खनक डरती है
 
कि कहीं उसकी आवाज न दब जाए
हर चमकीली मुस्कान सहमती है
 
कि कहीं वह कुचल न दी जाए
देखो मां कितनी चरमराती है व्यवस्था
सम्मान की
 
कैसे शिथिल हुई जा रही है 
तुम सी ही उर्जा
बिना किसी सबल संकल्प के
 
कितनी ही मांएं घायल हैं, भूखी हैं
सदियों से स्व की खोज में 
प्यासी हैं स्व के ओज से
 
देखो मां आई हो जो इस दफा तो जाना नहीं
 
जबकि तुम ही अन्न हो, पात्र भी तुम
तुम ही भूख हो, मांगने वाला हाथ भी तुम
 
तुम ही आग हो, जलने वाली काया भी तुम
तुम ही वस्त्र हो और खींचने वाली माया भी तुम
 
तुम ही देह हो और उसमें दौड़ती श्वास भी तुम
रुक जाओ देखो जरा
नतमस्तक हुए शीश भी तुम और समक्ष श्री रूप भी तुम
रुको जब तक सभी प्रश्नों के उत्तर मिलते नहीं 
 
देखो मां जो आई हो इस दफे तो जाना नहीं
 
देखो मां जो आई हो इस दफे तो जाना नहीं...॥
 
दुर्गोत्सव की शुभकामनाएं सभी को...। 
ये भी पढ़ें
Global Hand washing Day : कोरोना काल में हाथ धोने के 5 फायदे आपको जानना ही होंगे