बिटिया दिवस पर सुंदर कविता : बेटियां विश्वास हैं, सत्य का प्रकाश हैं
गरिमा मिश्र तोष | शनिवार,सितम्बर 24,2022
बेटियों के दिन नहीं
युग होते हैं
बेटियां सृष्टि नहीं
दृष्टि होती हैं
बेटियां विश्वास हैं
आभास हैं
साथ हैं
तो ...
दुर्गोत्सव पर कविता : आई हो मां जो इस दफा
गरिमा मिश्र तोष | गुरुवार,अक्टूबर 15,2020
मां आई हो जो इस दफा तो जाना नहीं, रुको देखो जरा गिरते हुए मानदंडों को, बिखरते मुक्त स्वप्नों को
एक लंबी कहानी : उसका होना...
गरिमा मिश्र तोष | मंगलवार,सितम्बर 29,2020
तापसी नाम था उसका,जैसी सुंदर सुशील थी वो वैसे ही उसके भाव विचार, उसको देखकर अनुमान लगाना कठिन था कि वो दो जवान बच्चों ...
बेटियों के दिन नहीं युग होते हैं : बिटिया दिवस पर सुंदर कविता
गरिमा मिश्र तोष | रविवार,सितम्बर 27,2020
बेटियों के दिन नहीं
युग होते हैं
बेटियां सृष्टि नहीं
दृष्टि होती हैं
बेटियां विश्वास हैं
आभास हैं
साथ हैं
तो ...
जन्माष्टमी पर कविता: हे धरणीधर हे कृष्ण न तरसाओ
गरिमा मिश्र तोष | मंगलवार,अगस्त 11,2020
आ जाओ कृष्ण...देखो अब बोल भी छूट चले, शब्दों को भी खोती हूं
एक-एक प्रेम पुष्प को, भाव माल में पिरोती हूं
poem on Kargil: मनकही
गरिमा मिश्र तोष | रविवार,जुलाई 26,2020
एक लौ उम्मीद की रौशन कर लो
कविता : जब हम बादलों को न्योता देने गए थे
गरिमा मिश्र तोष | गुरुवार,जुलाई 23,2020
याद है पिछली छुट्टियों से भी पहले
वाली छुट्टियों में हम जब बादलों को
न्योता देने उनके घर गए थे....
हिंदी कविता : शिव संवाद
गरिमा मिश्र तोष | गुरुवार,जुलाई 23,2020
कर्म की व्याख्या क्या करूं
जो करवाते हो
वह कर्म तुम्हीं को समर्पित
मेरे कर्म यदि मेरे नहीं
तो फल भी नहीं ...