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कविता : युवा समाज को बदलते जा रहे हैं

कविता : युवा समाज को बदलते जा रहे हैं - hindi poem
- डॉ. रूपेश जैन 'राहत'

दिन हो, रात हो अब युवा हिन्द के करते आराम नहीं
समाज बदल रहा है युवा, व्याकुलता का अब काम नहीं
भारत माता की वेदी पर निज प्राणों का उपहार लाए हैं
शक्ति भुजा में, ज्ञान गौरव जगाने भारत के युवा आये हैं
नित नए प्रयासों से समाज को आगे ले जा रहे हैंं
देखो युवा क्या-क्या नये उद्यम ला रहे हैंं

बिन्नी के साथ 'फ्लिपकार्ट' आया
देश में नया रोजगार लाया
कुणाल और रोहित की 'स्नैपडील'
कंस्यूमर को हो रहा गुड फील
देश की बेटियां कहां पीछे रहीं
राधिका की 'शॉप-क्लूज़' आ गयी

हुनर नहीं बर्बाद होता अब तहखानों में
जीवन रागनियांं मचल रही नव-गानों में
समझ चुके हैं बिना प्रयास पुरुषार्थ क्षय है
आगे बढ़ चले अब, भारत माता की जय है
तप्त मरु को हरित कर देने की आस लगाये हैं
युवा सुख-सुविधाओं की नए परम्परा लाये है

भाविश का 'ओला', समय से घर पहुंंचता
शशांक का 'प्रैक्टो' डॉक्टर से मिलवाता
दीपिंदर का 'जोमाटो' खाना खिलवाता
समर का 'जुगनू' ऑटोरिक्शा दिलवाता
विजय का 'पेटीऍम' ट्रांजेक्शन की जान
सौरभ, अलबिंदर का 'ग्रोफर्स' खरीदारों की शान

शिरीष आपटे की जल प्रणाली देश के काम आ रही
बीएस मुकुंद की 'रीन्यूइट' सस्ते कंप्यूटर बना रही
बिनालक्ष्मी नेप्रम 'वुमेन गन सर्वाइवर नेटवर्क' चला रहीं
सची सिंह रेलवे स्टेशन पर लावारिसों को राह दिखा रहीं
प्रीति गांंधी की मोबाइल लाइब्रेरी सबको ज्ञान बांंट रही
डॉ. बोडवाला की 'वन-चाइल्ड-वन-लाइट' जीवन में जान डाल रही

जादव पायेंग “फॉरेस्ट मॅन ऑफ इंडिया” जूझा अकेला
आज १३६० एकड़ में ‘मोलाई’ का जंगल फैला
तरक्की की कलम से भाग्य लिखते जा रहे हैं
नव पथ पर निशांं बनते जा रहे हैं
नित नए नाम जुड़ते जा रहे हैं
युवा समाज बदलते जा रहे हैं

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