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हिन्दी कविता : तुम बदल गए

हिन्दी कविता : तुम बदल गए।  tum badal gaye - hindi poem tum badal gaye
- आरती चित्तौडा
 
तुम बदल गए।
थामकर हाथ तुम्हारा,
चल पडी थी सपनों में रंग भर के
उम्मीद के पंख लगाकर, 
सखा भाव से...
तुम बदल गए।
 
नहीं बात करते मेरे सपनों की,
महत्वाकांक्षाओं की, 
ना ही किताबों की..
अब बात होती है,
मात्र व्हाट्सएप के मैसेज, 
और फेसबुक के वीडियो की..
तुम बदल गए।
 
चेहरा देखकर नहीं जान पाते हो,
मन की बात,
भूल से गए हो,
रूठने, मनाने की बात...
तुम बदल गए।
 
कुछ टूट रहा है,
बहुत कुछ छूट रहा है...
रिश्तों में अनकही सी दूरी है,
डोर संवादों की, 
कहीं तो अधूरी है..
तुम बदल गए...
तुम बदल गए...। 
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