हिन्दी कविता : ऐ मन तू ऐसे आंसू न बहा
पुष्पा परजिया
ऐ मन तू ऐसे आंसू न बहा,
न कर कोई गिला शिकवा
यही हैं राहें जीवन की
इसको तू अपनाते जा,
खाली था जीवन,
खाली थी राहें जीवन की,
फिर अब तुझको ये क्यूं ग़म लगता
तुझ पर सदा रहे गमों के बादल,
फिर क्यूं बरसे ये अंसुवन वर्षा
कभी आए सपने डरावने तब ,
खुद को तू मजबूत करता जा, करता जा
कुछ भी नया नहीं तेरे लिए अब ये सब
इससे तू अब जूझ जरा, जूझ जरा
नई उम्मीदों की किरण संग चल
हो सकता है मिल जाए तुझे कोई नया जहां
कर ले तप और सह, हर' ताप तू
शायद आगे मिले तुझे कोई नया जहां,
न सोच आज न मिला कल न मिलेगा
बुझ जाएगी शायद यूं हीं जीवन की शमा
कठोर राहें जीवन की और हो चले लम्बा रास्ता
छोड़ न कभी आस तू सुख की
कभी तो मिलेगा तुझे भी हंसता जहां...