सपन संजोए सुख के तेरे, बिदाई की बेला आई है
एक नन्ही-सी कली फिर से, दो आंगन में छाई है
महके गजरा, खनके कंगना, सुर्ख जोड़े से सजाई है
लाडो रानी तेरी बिदाई की, प्यारी सी बेला आई है
घर में तुझको, क्यूंकि ईश्वर ने ये माया रचाई है
जाना पड़े ससुराल हर बेटी को, पापा ने जीवन की रीत निभाई है
सूना पड़ जाए बाबुल का घर और मन,
पर बेटी, यही किस्मत की दुहाई है,
मांगू रब से तेरी खुशियां, सह के तेरे जाने का गम
बाद बिदाइ के जब मैं, देखूं अपना घर आंगन
सुनी पड़ी शहनाइ है...
बिलख रहा मानो, घर का कोना-कोना
तेरी हर चीज देख, अंखियन जलधार बह आइ है
असहय लगे तेरी बिदाई, तड़पे मन और मुझसे पुछे
आखिर तुने काहे को, ये रीत निभाई है
भाए न मन को तो भी कैसे, ये बिदाई कि बेला आई है