तुम याद हमें भी कर लेना
सहबा जाफरी
जब झूम के उट्ठे सावन तो, तुम याद हमें भी कर लेनाजब टूट के बरसे बादल तो, तुम याद हमें भी कर लेना जब रात की पलकों पर कोई ग़मगीन सितारा चमक उठे और दर्द की शिद्दत से दिल भी जब रेजाँ-रेजाँ हो जाएजब छलक उठे बेबात नयन,तुम याद हमें भी कर लेना। पूरे चाँद की रातों में जब हवा चले ठंडी-ठंडीऔर कोई दीवाना पंछी जब चाहत से चाँद को तकता होउस लम्हे की खामोशी को तुम अल्फाजों में बाँधो जबऔर लिखो जब कोई ग़ज़ल, तुम याद हमें भी कर लेना। सारी ख्वाहिश बर आए जब, और दिल ख्वाहिश से खाली होसब के बाद जो तेरा दिल, बस चाहत का सवाली होबेगर्ज़ मोहब्बत की चाहत में, दिल तेरा जब तड़प उट्ठेये तड़प जब हद से बढ़ जाए,तुम याद हमें भी कर लेना। दिल का भोला बच्चा जब, सबसे बगावत कर बैठेतन्हा-तन्हा रुठा-रुठा दीवाना बन जाए जबजब दुनिया भर से शिकवा हो और आँख से आँसू बह निकलेउस मासूम से लम्हे में तुम याद हमें भी कर लेना।