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Written By WD

हस्ताक्षर नहीं, ऑटोग्राफ प्लीज...

Hindi Diwas 2012 | हस्ताक्षर नहीं, ऑटोग्राफ प्लीज...
अंगरेजी हुकूमत के दौरान भी इतनी अंगरेजी नहीं बोली जाती थी, जितनी आज बोली जाती है। वैश्वीकरण के नाम पर अंगरेजी को तेजी से अपनाना और मातृभाषा हिन्दी की उपेक्षा चिंता का विषय है। हिन्दी के उत्थान के लिए काम करने वाली तमाम छोटी-बड़ी संस्थाएं आज से हिन्दी के प्रचार-प्रसार में भिड़ जाएंगी। हमने जानने की कोशिश की है कि कितने लोग अंगरेजी में हस्ताक्षर करना पसंद करते हैं और आखिर क्यों अंगरेजी का उपयोग हिन्दी से बेहतर माना जाने लगा है।

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हिन्दी में सवाल से कतराते हैं
कई लोग भले ही अंगरेजी बोल अथवा लिख नहीं पाते हैं। बावजूद इसके वे अंगरेजी का उपयोग करने की कोशिश करते हैं। क्योंकि वे ऐसा कर खुद को ज्यादा सम्मानित महसूस करते हैं। बैंक ऑफ इंडिया के जनसंपर्क अधिकारी विवेक हलवे ने बताया कि विभिन्न प्रकार के आवेदनों और अन्य कागजी कार्रवाई में लोग अंगरेजी का उपयोग करने की कोशिश करते हैं। बैंक के राजभाषा विभाग द्वारा समय-समय पर बैंकों का दौरा कर हिन्दी का प्रचार-प्रसार किया जाता है। बावजूद इसके लोग हिन्दी में हस्ताक्षर करने या हिन्दी में सवाल पूछने से कतराते हैं।

बात हिन्दी में, हस्ताक्षर अंगरेजी में
सराफा विद्या निकेतन के प्राचार्य आलोक दवे ने बताया कि एक शिक्षा सत्र में हमें अलग-अलग गतिविधियों के लिए पालकों से कई बार हस्ताक्षर कराने होते हैं। इनमें त्रैमासिक, छःमासिक, सालाना परीक्षा, नियमित टेस्ट और विशेष सूचनाओं सहित कई अवसर शामिल हैं। इस दौरान यह देखने में आता है कि पालक बात तो हिन्दी में करते हैं, लेकिन हस्ताक्षर अंगरेजी में करते हैं। अधिकांश पालक विद्यार्थियों की अंगरेजी पर ज्यादा जोर देने की बात कहते हैं।

बाद में समझ में भी नहीं आते
निजी ऑफिस के गार्ड विनोद कुमार ने बताया कि कंपनी के डेली रजिस्टर में रोजाना सैकड़ों लोग आने-जाने का समय, मोबाइल नंबर, पता आदि लिखते हैं। अधिकांश लोग हस्ताक्षर तो अंगरेजी में करते ही हैं साथ ही उनका नाम और पता भी अंगरेजी में ही लिखा होता है। कई लोगों के नाम बाद में समझ में भी नहीं आते। कहा जा सकता है कि 990 फीसद से ज्यादा लोग अंगरेजी में ही हस्ताक्षर करते हैं।

शिक्षा के स्तर पर निर्भर
लोगों द्वारा बीमा संबंधी कार्यों के लिए हस्ताक्षर हिन्दी में किए जा रहे हैं कि अंगरेजी में यह उनकी शिक्षा के स्तर पर निर्भर करता है। एलआईसी के सलाहकार अंसार लोदी ने बताया कि जो लोग कम पढ़े-लिखे होते हैं वे अधिकांश हिन्दी में ही लिखना पसंद करते हैं, लेकिन जो लोग शिक्षित हैं वे अंगरेजी में ही सारी औपचारिकता पूरी करते हैं। जिन्हें दोनों भाषाओं का ज्ञान है वे अंगरेजी का उपयोग ज्यादा पसंद करते हैं।