अपनी भाषा बोलिए, भाषा से सम्मान
दुनिया में हम पाते हैं, भाषा से पहचान
भारत के उत्थान का, है हिंदी संधान
हिंदी से मिटते रहे, पथ के सब व्यवधान
ना तकनीकों से परे, परे नहीं विज्ञान
इस हिंदी के क्षेत्र में, है सबका सम्मान
तत्व, गणित, आदि सभी, सृष्टि के सोपान
इस भाषा से ही प्रकट, हो पाया प्रज्ञान
आज समय बदला है कि, बदल गया इंसान
देखो तो अब बन गई, है हिंदी व्यवधान
अब अपना कर्तव्य है, दें इसका प्रतिदान
हम तुम से दिन-दिन बढ़े, हिंदी का अभिमान
अक्षर अक्षर मिला भाव को व्यक्त कराया है,
और पंक्तियों मे सारा संसार समाया है
वो हिंदी जिसने मानव को संवाद सिखाया है,
वो हिंदी जिसने अनपढ़ को विद्वान बनाया है।