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Last Updated : सोमवार, 19 दिसंबर 2011 (17:15 IST)
डॉक्टर अब्दुल कलाम : युवाओं की प्रेरणा
वेबदुनिया डेस्क
भारत के पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइलमैन के नाम से मशहूर डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम उन चुनिंदा हस्तियों में से एक हैं जिन्होंने अपने काम और जीवन दर्शन से लोगों के दिलों में जगह बनाई। डॉक्टर कलाम को 'पीपल्स प्रेसिडेंट' कहा गया। प्रतिभाओं के धनी डॉक्टर कलाम की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है। सरल और सुलझे व्यवहार के कारण उन्होंने सबको अपना कायल बना लिया। डॉक्टर कलाम ने देश के लिए अमूल्य योगदान दिया है और आज भी वे अपने ज्ञान का प्रकाश फैला रहे हैं। डॉक्टर कलाम आज के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत हैं, उनके आदर्श हैं। अधिकांश युवा उनके जैसा ही बनने का सपना सजोए लक्ष्य की ओर अग्रसर हैं।
अगले पेज पर : डॉक्टर कलाम का संघर्ष
यूथ आईकॉन बन चुके डॉ. कलाम का जन्म 15 अक्तूबर 1931 को तमिलनाड़ु के रामेश्वरम जिले के धनुषकोडी गांव में हुआ। उनका जन्म एक बहुत ही साधारण मुस्लिम परिवार में हुआ। उनके पिता जेनलुद्दीन मछुवारों को नाव किराए पर दिया करते थे। उनके पिता एक सभ्य, दयालु इंसान थे और उनका यही व्यवहार डॉक्टर कलाम में भी आया। उनके पिता ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं थे, लेकिन वे डॉक्टर कलाम को ऊंची तालीम दिलाना चाहते थे। घर की आर्थिक स्थिति के लिए डॉक्टर कलाम ने कम उम्र में ही काम करना शुरू कर दिया। डॉक्टर कलाम के दिन की शुरुआत सुबह 4 बजे से हो जाती थी। सुबह उठकर तैयार होकर वे स्कूल का होमवर्क और रीविजन किया करते थे और गणित की ट्यूशन जाते थे। क्लास के बाद वे अपने भाई के साथ अखबार बांटने का काम करते थे। वे स्कूल में एक औसत विद्यार्थी थे, लेकिन उनमें सीखने और आगे बढ़ने की काफी ललक थी जिस कारण उनके शिक्षक उनकी मदद करने में पीछे नहीं रहते थे। अपनी स्कूली पढ़ाई के बाद डॉक्टर कलाम ने 1950 में तिरुची के सेंट जोसेफ कॉलेज में दाखिला लिया और वहां से भौतिक शास्त्र से स्नातक की डिग्री प्राप्त की। लेकिन उन्हें इससे आत्म संतुष्टि नहीं हुई। वे अक्सर उड़ते हुए पक्षियों को देखा करते थे और पक्षियों की उड़ान ने ही उनके मन में पायलट बनने का सपना विकसित किया। अपने इसी सपने को पूरा करने के लिए 1954-57 तक उन्होंने एमआईटी (मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी) से एरोन्यूटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। डॉक्टर कलाम का योगदान : अगले पेज पर
डॉक्टर कलाम ने 1958 में डीआरडीओ (डिफेंस रिसर्च एंड डेवलप्मेंट ऑर्गेनाइजेशन) में काम किया और 1962 में आईएसआरओ (इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन) के साथ काम किया। डॉक्टर कलाम को 'मिसाइल मैन' के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि पृथ्वी, अग्नि, मिसाइल को बनाने में उनका ही योगदान रहा है।
देश के राष्ट्रपति बनने से पहले लोग उन्हें एक इंजीनियर और वैज्ञानिक के रूप में ही जानते थे, लेकिन बतौर राष्ट्रपति उन्होंने अपनी अलग छवि बनाई। राष्ट्रपति के पद पर रहते हुए, जिस तरह डॉक्टर कलाम ने सादा जीवन बिताया, उससे कई लोग उनकी सादा जीवन शैली और सरल व्यक्तित्व के कायल हो गए।
डॉक्टर कलाम का मूलमंत्र : अगले पेज पर
डॉक्टर कलाम स्वभाव से बड़े ही दयालु, नम्र और सुलझे हुए हैं। उनकी नम्रता का इससे बड़ा उदाहरण हमें क्या मिलेगा कि जब अमेरिका दौरे में वहां के सुरक्षाकर्मियों ने तलाशी के लिए डॉक्टर कलाम की जैकेट और जूते ले लिए तब भी वह शांत रहे और उनकी इसकी 'जांच' में अपनी तरफ से पूरा सहयोग किया। बाद में जब मामला मीडिया में आया तो डॉक्टर कलाम ने इसे तूल देने से मना कर दिया। डॉक्टर कलाम ने हमेशा कर्म को महत्व दिया। उन्होंने हमेशा ही कठिन परिश्रम, दृढ़ता और धैर्य को ही सफलता का मूल मंत्र माना। डॉक्टर कलाम को देश के नौजवानों पर अटूट विश्वास रहा है। वे हमेशा युवाओं को लक्ष्य निर्धारित कर आगे बढ़ने और देश के लिए काम करने की सलाह देते हैं। उनके भाषण हमेशा से ही प्रेरणा देने वाले रहे हैं। उनका भाषण सुनकर मन में एक नए जोश और जुनून का संचार हो जाता है।
डॉक्टर कलाम के शौक : अगले पेज पर
डॉक्टर कलाम देश को 2020 तक एक विकसित राष्ट्र बनाना चाहते हैं। उनका जन्म एक मुस्लिम परिवार में हुआ, लेकिन सभी धर्मों के प्रति उनकी गहरी श्रद्धा है। वे नियमित रूप से कुरान और गीता का पाठ करते हैं। इसके अलावा डॉक्टर कलाम साहित्य प्रेमी हैं। उन्हें लिखने का शौक है। उन्होंने अभी तक कई किताबें लिखी हैं, जिसमें उनके द्वारा लिखी उनकी आत्मकथा 'विंग्स ऑफ फायर' काफी प्रचलित है। डॉक्टर कलाम संगीत प्रेमी भी हैं। अपना कुछ समय वे वीणा वादन में बिताते हैं।