जानिए कि क्यों चलती है हिचकी?
भारत में हिचकी से कई किवदंतीनुमा टोटके जुड़े हुए हैं जैसे आपको हिचकी आ रही है तो कोई याद कर रहा होगा। सोचो कौन याद कर रहा है। सही नाम सोच लेने पर हिचकी रुक जाएगी। इसी तरह किसी को हिचकी चल रही है तो शुभचिंतक साथ वाला एकदम से कोई शॉक करने वाली बात कह देगा, इस मान्यता की वजह से कि अचानक ऐसा कर देने से हिचकी रुक जाएगी। यह कितना सही है कितना गलत यह तो पता नहीं, पर हां पीड़ित का ध्यान बंटाने के लिए खोजे गए पारंपरिक उपाय के रूप में यह ठीक है। पर अच्छा हो कि हिचकी के पीछे का साइंस थोड़ा समझ लिया जाए और फिर उसके अनुकूल उपाय किए जाएं। रोज हम सांस लेते हैं और फेफ़डों में हवा जाती और वहां से आती रहती है। इसके साथ ही वह पर्दा भी हिलता है जो छाती और पेट के बीच में है। मगर कभी-कभी इस प्रवाह की लय गड़बड़ा जाती है इससे डायफ्रॉम फड़कने लगता है और हिचकी चलती है।इस फड़कन को काबू करके हवा का प्रवाह सहज करने के कई उपाय हैं। जैसे ठंडा पानी पीना, शकर निगलना, कुछ सेकंड के लिए सांस रोकना, कुचली हुई बर्फ निगलना, कोई थैली फुलाना वगैरह। इनमें से किसी भी एक विधि से हिचकी में आराम मिल जाता है। जल्दी-जल्दी भोजन निगलने, अधिक मिर्च वाला खाना खाने, शराब पीने आदि से हिचकी आ सकती है। मगर यदि यह किसी भी सामान्य उपाय से न रुक रही हो, तब डॉक्टर से राय कर लेना ही ठीक है।