जनरल नॉलेज : रात्रिचर प्राणियों के बारे में
जानवर जो राज में घूमते हैं...
ऐसे जानवर जो रात में ही शिकार की खोज में निकलते हैं, रात्रिचर कहलाते हैं। साही (कांटा चूहा), तेंदुआ, हैम्सटर (बड़ा चूहा) उल्लू, चमगादड़ आदि कुछ ऐसे जीव है जो रात में ही बाहर निकलते हैं और अपने शिकार व भोजन की तलाश करते हैं। यह पढ़कर आप सोच रहे होंगे कि इन जानवरों को रात के अंधेरे में दिखाई कैसे देता होगा? इसके लिए हम आपको बता दें कि इन जीवों की आंखें बहुत तेज होती हैं और इन्हें रात में देखने के लिए किसी मशीन की भी कोई जरूरत नहीं होती है। इनकी आंखें रात के अंधेरें में देखने की अभ्यस्त होती हैं जिस कारण ये रात की रोशनी में आराम से देख सकते हैं और भली प्रकार से विचरण कर सकते हैं। चमगादड़ रात में घूमने वाला प्राणी है। इसके बारे में एक रोचक बात यह है कि इसे दिखाई नहीं देता इसके बाबजूद भी यह सही दिशा में उड़ान भरता है, शिकार करता है। इसका कारण यह है कि यह अपने मुंह से एक खास तरह की आवाज निकालता है। यह आवाज किसी शिकार या वस्तु से टकरा कर उसके पास वापस आ जाती है। जिसे सुनकर वह आगे बढ़ता है। इस से वह न केवल आसानी से शिकार कर लेता है बल्कि उड़ते समय किसी वस्तु से टकराने से भी बच जाता है।
उल्लू भी रात में घूमने वाला प्राणी है, लेकिन उल्लू की सभी प्रजाति रात में सक्रिय नहीं रहतीं। कुछ उल्लू की प्रजातियां दिन में भी विचरण करने वाली होती हैं। उल्लू की वे प्रजातियां जो बिल खोदने वाली मतलब बिलों में रहने वाली और छोटे कान वाली उल्लू की प्रजातियां दिन में ही खाती-पीती हैं। मादा उल्लू को आकर्षित करने के लिए उल्लू एक खास तरह की आवाज निकालते हैं। ऐसी आवाज निकाल कर वे अपने इलाके को भी जताते हैं।