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28 मई - आज के दिन की थी दो बंदरों ने अंतरिक्ष की यात्रा

28 मई - आज के दिन की थी दो बंदरों ने अंतरिक्ष की यात्रा - on 28 may first monkey completed journey in space
1950 के दशक में अंतरिक्ष विज्ञान की बहुत उन्नति हुई। इस समय अमेरिका और सोवियत संघ के बीच तकनीकों को लेकर अच्छी प्रतिस्पर्धा हुई। अमेरिका की नासा और सोवियत संघ की रोसकॉस्मोस अंतरिक्ष एजेंसी में अंतरिक्ष में जाने की होड़ का अंजाम जानवरों को भुगतना पड़ा।

सोवियत संघ ने 1947 से ही जानवरों को अंतरिक्ष में भेजना शुरू कर दिया था। उन्होंने 1957 में एक श्वान लाइका को अंतरिक्ष में भेजा था पर भेजने के कुछ समय बाद यान में ही उसकी मृत्यु हो गई थी। नासा ने भी परीक्षण के लिए बंदरों को अंतरिक्ष में भेजने की पहल की। उन्होंने 1958 में एक बन्दर गोर्डो को अंतरिक्ष में भेजा पर उसकी मृत्यु हो गई थी।
 
28 मई 1959 को नासा ने मिस बेकर और मिस एबल नाम के दो बंदरों को अंतरिक्ष में भेजा था और दोनों सुरक्षित वापस लौटे थे। यह नासा की बड़ी सफलता थी। इस घटना के बाद मिस एबल की सर्जरी के दौरान मृत्यु हो गई थी। अंतरिक्ष यात्रा के दौरान इन बंदरों का स्वास्थ खराब हो गया था। पृथ्वी से 500 किलोमीटर ऊपर जीरो ग्रेविटी में यात्रा करके फिरसे धरती पर आने वाले बन्दर थे।
 
इस परीक्षण से नासा को अपने शोध के लिए महत्वपूर्ण जानकारियां मिली। दूसरी बन्दर मिस एबल इस प्रयोग के बाद स्वस्थ रही और अपनी 27 वर्ष की औसत आयु पूर्ण कर 1984 तक जीवित थी। इसके बाद गए बन्दर सैम पर जीरो ग्रेविटी का प्रयोग नहीं हुआ और उसे जीवित रखने के लिए एक कैप्सूल बनाया गया। कुत्ते ,बन्दर और चिम्पांजियों पर प्रयोग करके मानव 1961 में पहली बार अंतरिक्ष में गया। अंतरिक्ष में जाने वाले प्रथम व्यक्ति सोवियत संघ के यूरी गागरिन थे।
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