Last Modified: नई दिल्ली ,
रविवार, 27 अप्रैल 2014 (12:05 IST)
हरीश रावत की प्रतिष्ठा और सरकार दोनों दांव पर
FILE
नई दिल्ली। आमतौर पर उत्तराखंड में आम चुनाव में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच ही मुकाबला होता रहा है लेकिन इस बार चुनाव से ठीक पहले राज्य में नेतृत्व परिवर्तन तथा कद्दावर नेता सतपाल महाराज के पार्टी बदलने से बने समीकरण से मुख्यमंत्री हरीश रावत की प्रतिष्ठा तथा उनकी सरकार दोनों दांव पर है।
चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री पद से विजय बहुगुणा की छुट्टी करके कांग्रेस ने हरीश रावत की ताजपोशी कर माहौल बदलने का प्रयास किया लेकिन इसी बीच रावत के कट्टर विरोधी माने जाने वाले सांसद सतपाल महाराज के भाजपा में शामिल होने से पार्टी की रणनीति पर पानी फिर गया। नए समीकरणों से कांग्रेस के लिए उत्तराखंड में आम चुनाव की डगर कठिन हो गई।
कांग्रेस को इन चुनावों में सफलता दिलाने का दावा करने वाले रावत की अपनी प्रतिष्ठा के साथ-साथ सरकार भी दांव लग गई है।
पिछले लोकसभा चुनाव में हरिद्वार सीट से चुने गए रावत ने इस बार इस सीट पर अपनी पत्नी रेणुका रावत को उम्मीदवार बनवाया है। इस तरह इस सीट पर विशेष रूप से उनकी प्रतिष्ठा दांव पर है। यहां से रावत का मुकाबला राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री तथा भाजपा के वरिष्ठ नेता रमेश पोखरियाल निशंक से है।
पिछले वर्ष जून में आई आपदा के बाद राज्य में विजय बहुगुणा के नेतृत्व वाली सरकार पर अक्षमता और घोटालों के आरोप लगे। जनभावनाओं को देखते हुए कांग्रेस के पास नेतृत्व परिवर्तन के अलावा और कोई विकल्प नहीं था इसलिए रावत को राज्य की कमान सौंपी गई लेकिन आलाकमान के इस निर्णय के बाद कांग्रेस का अंतरकलह खुलकर सामने आ गया।
करीब 2 साल पहले उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में महज 1 सीट अधिक होने से सरकार बनाने में सफल रही कांग्रेस में रावत ही मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार थे लेकिन हाईकमान ने टिहरी से तत्कालीन सांसद विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री बना दिया था। (वार्ता)