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Written By Author पं. सुरेन्द्र बिल्लौरे

गणेश चतुर्थी ज्योतिष की नजर में

Ganesh Utsav 2009 | गणेश चतुर्थी ज्योतिष की नजर में
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गजाननं भूत गणासेवितं कपित्थजम्बूफल चारूभक्षणम।
उमासूतं शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम्।

प्रथम पूज्य गौरी पुत्र को प्रणाम करते हुए यह लेख श्री चरणों में समर्पित करता हूँ।

(गणेश) गजानन देवताओं द्वारा पूजे जाने वाले प्रथम देव हैं, गणेश जी की आराधना देव, दानव किन्नर सभी ने की है, मनुष्य द्वारा रिद्धि सिद्धि एवं संतान की प्राप्ति के लिए गणेश जी की प्रार्थना करने से सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है, आपकी आराधना में उपयोग किए गए मंत्रों में अनंत शक्ति एवं उद्देश्य हैं।

उपरोक्त मंत्र शुगर (शकर) की बीमारी वाले पढ़ें एवं समझकर उपयोग करें तो रोग से मुक्त हो जाएँगे। मंत्र का गूढ़ अर्थ है कि कबिट फल, जामुन एवं चारोली खाने वाले को शुगर नहीं होती।

गणेश जी का पूजन अनादिकाल से चला आ रहा है, ये शिव पार्वती के ऐसे मानसपुत्र हैं, जिनका पूजन स्वयं के माता-पिता के विवाह के समय हुआ। वही बाद में युग रूप में उत्पन्न हुए। गणेश जी बुद्धि विवेक के स्वामी हैं। अत: बुद्धि प्राप्ति के लिए गणेश जी की आराधना करें।

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बुध ग्रह के अधिपति हैं स्वयं गजानन। अत: बुध की महादशा में गणेश जी की आराधना को सूर्य एवं चंद्रमा से संबोधित किया है, विद्वानों ने सूर्य से भी तेजस्वी माना है गणेश जी को। प्रभु गजानन (एकदंत) की आराधना रिद्धि-सिद्धि की प्राप्ति तो होती है, इसी के साथ ऋण से उबरने अर्थात ऋण से मुक्त होने के लिए गणेश जी की आराधना करना चाहिए। निम्न मंत्र गणेश चतुर्थी के दिन प्रारंभ करके 36 हजार की संख्‍या में जाप करने से पूर्ण ऋण से मुक्त हो जाते हैं।

मंत्र - ऊँ गणेश ऋणं छिन्दिं वरेण्यं, हुम फट नम: स्वाहा

मंत्र को लाल ऊनी आसन पर बैठकर रूद्राक्ष की माला से शुद्ध मन लगाकर करें एवं इसी दिन से गणेश चतुर्थी का व्रत आरंभ करें एवं बारह महीने दोनों चतुर्थी (विनायक चतुर्थी एवं संकष्टी चतुर्थी) का व्रत करें। चंद्रमा निकलने पर भोजन करें।

यदि इस चतुर्थी से व्रत आरंभ न हो सके, तो करवा चौथ से व्रत करें। पूर्ण विश्वास के साथ करने से गणेश जी ऋण से मुक्त करके रिद्धि सिद्धि की प्राप्ति अवश्य कराते हैं। ।

विशेष : ये मंत्र जाप गणेश चतुर्थी से अनंत चौदस के बीच समाप्त हो जाए तो कई गुना फल प्राप्त होता है।

प्रथम पूज्य गौरी शंकर पुत्र गजानन जी को प्रसन्न करने के लिए उनके बीज मंत्र 'गं गणपतयै नम:' को सवा लाख बार करने से प्रत्येक मनोकामना पूर्ण होती है। विशेषकर जिन बच्चों के विवाह नहीं हो रहे हों, किसी भी प्रकार की अड़चन या रुकावट आ रही हो तो विद्वान पंडित से सवा लाख जाप अवश्य कराए शांतिपूर्वक शीघ्र विवाह होगा। सुशील संतान की प्राप्ति होगी।

सभी के विघ्न हरने वाले पार्वती पुत्र गणेश को इन मंत्रों से प्रणाम करें।

सर्वविघ्‍नविनाशाय, सर्वकल्याण हेतवे।
पार्वती प्रिय पुत्राय, श्री गणेशाय नमो नम:।।

लम्बोदर नमस्तुभ्यं सततं मोदकप्रिय।
निर्विघ्‍नं कुरुमे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।

।। ऊँ एकदंताय विदमहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दंतिं प्रचोदयात।।