बुधवार, 27 सितम्बर 2023
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शाश्वत है गाँधी दर्शन

गुरुवार,अक्टूबर 1, 2009
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क्लासिक कलम बनाने वाली विश्व विख्यात कंपनी मोंट ब्लांक महात्मा गाँधी के दांडी मार्च से प्रेरित होकर एक विशेष कलम पेश कर रही है जिसकी कीमत करीब 14 लाख रुपए होगी। कैसी विडंबना है कि एक संत, जो अपने जीवन में आत्म शुद्धि के लिए बार- बार तकिए की जगह पटिए ...
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महात्मा गाँधी का व्यक्तित्व हजारों लाखों के लिए प्रेरणास्रोत है लेकिन उनके जीवन के कई महत्वपूर्ण मौकों पर उन्हें सही निर्णय लेने में मदद करने वाले और देश की आजादी के मार्ग पर पूरी ताकत से आगे बढ़ने की प्रेरणा देने वाले प्राणजीवन मेहता को उनके कद के ...
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गाँधी जयंती को देशभर में विविध तरीकों से मनाने की परंपरा के बीच देश के शिक्षाविदों ने इस दिन को रैगिंग उन्मूलन संकल्प दिवस के रूप में मनाने की हिमायत करते हुए कहा है कि रैगिंग एक मनोविकृति है और इससे निपटने में ‘गाँधीगिरी’ का आधुनिक फार्मूला कारगर ...
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एक अभागा प्राणी, जो कभी नहीं जान सका कि महान पिता की संतान होने का यह दंड क्यों किन्हीं नैसर्गिक अधिकारों की बलि चढ़ जाए और व्यक्तिगत उन्नति की आकांक्षा पाप बन जाए? प्रसंग है, राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी और उनके विद्रोही पुत्र हरिलाल का। शब्दों में इस ...
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संदेशों को सुनकर उनके अनुसार आचरण करने की ईमानदारी समाप्त हो चुकी है। अब तो आदेशों को भी अनसुना कर देने की प्रवृत्ति ने पैर जमा लिए हैं। इसलिए महात्मा गाँधी के इस कथन को अप्रासंगिक ठहरा देने वाले बहुत से होंगे कि 'मेरा जीवन ही मेरा संदेश है। 'लेकिन ...
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गाँधीजी एक संपादक के रूप में

गुरुवार,अक्टूबर 1, 2009
यदि गाँधीजी राष्ट्रपिता न होते तो शायद इस शताब्दी के महानतम भारतीय संपादक होते। अपने छात्र काल से ही उन्हें लिखने व नाना प्रकार की ऐतिहासिक, साहित्यिक व अन्य विषयों की पुस्तकें पढ़ने का चाव था। उनके स्कूल व कॉलेज के लाइब्रेरियन उनसे खीझ जाते थे कि यह ...
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गाँधी को पुनर्जीवित करना होगा

गुरुवार,अक्टूबर 1, 2009
संत का अंत नहीं होता बल्कि संत देहमुक्त होकर अनंत हो जाता है। आज आदमी, आदमी के बीच नफरत, जाति-जाति के बीच दुश्मनी और घृणा तथा मुल्क-मुल्क के बीच आतंक, तनाव और एक-दूसरे को मिटा देने की कट्टरता व्याप्त है। आखिर इतने सारे धर्म, मजहब पालने वाले दुनिया ...
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गाँधी, गाँधीवाद और गाँधीगिरी

गुरुवार,अक्टूबर 1, 2009
गाँधी, गाँधीवाद और गाँधीगिरी तीनों जुदा-जुदा हैं, लेकिन तीनों का संबंध एक ऐसे शख्स के साथ है, जो सारी दुनिया में एक ही है- महात्मा गाँधी, जिसे इक्कीसवीं सदी का सबसे ख्यातिप्राप्त व्यक्ति चुना गया था। मोहनदास करमचंद गाँधी हाड़-माँस का एक ऐसा शख्स था ...
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बापू की एक पाती, बा के नाम

गुरुवार,अक्टूबर 1, 2009
मैं जानता हूँ कि तुम मेरे साथ रहने की इच्‍छुक हो। मुझे लगता है कि हम दोनों को अपने-अपने कार्य में लगे रहना चाहिए। फिलहाल यह उचित होगा कि तुम जहाँ हो वहीं ठहरो। यदि तुम सभी बच्‍चों को अपने बच्‍चों की तरह देखो तो जल्‍द ही आने वाले की कमी का एहसास ...
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राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के वैसे तो अपने चार पुत्र थे लेकिन वे तमाम भारतीयों को अपनी मानस संतान के तौर पर देखते थे। फिर भी उन्होंने अंतिम दिनों में अपने साथ रही मनुबेन गाँधी का पालन-पोषण माँ के रूप में किया। महात्मा गाँधी की पौत्री मनु से बापू ...
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गाँधी एक पवित्र मंत्र है

गुरुवार,अक्टूबर 1, 2009
गाँधीजी न तो शांतिवादी थे, न ही समाजवादी और न ही व्याख्यामय राजनीतिक रंग में रंगने वाले व्यक्ति थे। वे बस, जीवन के शुद्ध विद्यमान सत्यों से जुड़े रहे। इसी को आधार बनाकर उन्होंने सारे निर्णय लिए। गाँधीजी का जीवन इस बात का साक्षी है तथा प्रेरित करता है ...
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गाँधीजी का जीवन-दर्शन

गुरुवार,अक्टूबर 1, 2009
गाँधीजी का देशभक्तों की पंक्ति में सबसे ऊँचा स्थान है। गाँधी की देशभक्ति मंजिल नहीं, अनन्त शान्ति तथा जीव मात्र के प्रति प्रेमभाव की मंजिल तक पहुँचने के लिए यात्रा का एक पड़ाव मात्र है। गाँधीजी ने कहा- 'जिस सत्य की सर्वव्यापक विश्व भावना को अपनी आँख ...
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राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी को अपनी मृत्यु का पूर्वाभास हो चुका था, जिसका संकेत वे अनेक बार दे भी चुके थे! जी हाँ, चौधरी चरणसिंह विश्वविद्यालय मेरठ के इतिहास विभाग की पूर्व अध्यक्ष एवं गाँधी अध्ययन संस्थान की पूर्व निदेशक गीता श्रीवास्तव के नए शोध में ...
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