हास्य-व्यंग्य पर कवि सम्मेलन
मस्जिद में पुजारी हो तो मंदिर में नमाजी हो
शरद पूर्णिमा पर ग्वालियर में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें देश के प्रख्यात कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से जनचेतना का भाव जाग्रत किया। इस कवि सम्मेलन में हास्य-व्यंग्य के कवि पद्मश्री डॉ. सुरेंद्र दुबे ने जनलोकपाल बिल को लेकर अण्णा हजारे द्वारा किए गए अनशन पर कविता सुनाईं। देखें उनकी कुछ पंक्तियां-'
अण्णा जिसको केंद्र सरकार ने समझा गन्नाबाबा रामदेव की तरह मशीन में डालो रस निकालोलेकिन 13 दिन से भूखे थे अण्णामशीन में घुमाया एक बूंद रस बाहर नहीं आयासरकार ने दिखायादो नींबू फंसायाएक कपिल सिब्बल एक चिदंबरम' अलीगढ़ से आए जनाव अंसार कम्बार ने श्रद्धा की महिमा को रेखांकित किया। देखें बानगी-'
वाल्मीकि के जाति से निकला ये परिणामश्रद्धा होनी चाहिए मरा कहो या राम' सांप्रदायिक सौहार्द पर भी उन्होंने काव्य पाठ किया देखें कुछ पंक्तियां-'
मस्जिद में पुजारी हो तो मंदिर में नमाजी होकिस तरह ये फेरबदल सोच रहा हूं।' गीतकार जगदीश सोलंकी ने राष्ट्रीयता से ओतप्रोत रचना प्रस्तुत की। देखें बानगी-'
पढ़ते थे टाट-पट्टियों पे जब बैठकरतब तक धरती की गंध से लगाव थानानी और दादी की कहानी जब सुनते थेसमझो कि हमें सत्संग से लगाव था'
शशिकांत यादव शशि ने भी राष्ट्र के प्रति अपनी भावना को यूं बयां किया-'
मातृभूमि अस्मिता का प्रश्न यदि आएगातो रचना भी द्रोपदी की चीज बन जाएगी' कानपुर से आए हास्य-व्यंग्य कवि डॉ. सुरेश अवस्थी ने देश में बढ़ते भ्रष्टाचार पर चिंता जाहिर की- देखें कुछ पंक्तियां'
ये सही है अफजल और कसाबतुरंत फांसी देने के अपराधी हैंलेकिन देश का पैसा लूटने वालेउनसे बड़े अपराधी हैं।' लखनऊ से आए व्यंजना शुक्ला ने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। देखें बानगी-'
जो मातृभूमि के चरणों में अपना सिरचढ़ा दिया करतेप्राणों की आहुति देकरमां का गौरव बढ़ा दिया करतेमेरी वाणी तो उन्हीं सपूतों का शुभवंदन करती है।'