दागदार बनाम ईमानदार नेता
भविष्य की संसद
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महेंद्र साँघी वेबू- काका लोकसभा चुनावों में सभी पार्टियों द्वारा जमकर अपराधी पृष्ठभूमि वाले प्रत्याशियों को टिकिट दिए जा रहे हैं तो 10-15 सालों के बाद क्या होगा? काका- होगा क्या, समझ लो कि पूरी की पूरी सत्ता दागदार अपराधी पृष्ठभूमि वाले नेताओं के हाथों में आ जाएगी। वेबू- काका, तब क्या किसी भी ईमानदार नेता को टिकिट नहीं मिलेगा। काका- मिलेगा न। वेबू- उत्साहित होकर, किसे? काका- अरे भाई, यदि अपराधी पृष्ठभूमि के नेता के यहाँ यदि भक्त प्रह्लाद सरीखा कोई ईमानदार बेटा पैदा हो गया तो उसे तो टिकिट देना ही पड़ेगा ना। वेबू- काका, एक से क्या होगा? काका- दो दागदार सशक्त प्रत्याशियों के झगड़े के बीच कोई ईमानदार निर्दलीय भी किस्मत से जीत सकता है। वेबू- और? काका- जिस तरह चेरापूँजी सर्वाधिक वर्षा के लिए जाना जाता है उसी तरह देश का कोई तो इलाका होगा जहाँ सर्वाधिक ईमानदार और अच्छे लोग होंगे। हो सकता है वहाँ कोई दागदार प्रत्याशी ही नहीं मिले और किसी ईमानदार सच्चे इंसान का दाँव लग जाए।
वेबू- अब स्वयं का दिमाग लगाते हुए, हाँ काका! यह भी हो सकता है कोई ईमानदार धनाढ्य व्यक्ति अपनी सफेद पूँजी चुनाव में लगाकर जीत जाए और दागदार प्रत्याशी पर भारी पड़ जाए। काका- यह भी हो सकता है कि जनता के दबाव के चलते अच्छे, सक्षम, ईमानदार नेताओं के लिए कोई कोटा आरक्षित कर दिया जाए। वेबू- प्रसन्न होकर! काका, यह तो बताओ कि क्या इन ईमानदारों में से किसी के प्रधानमंत्री बनने की संभावना रहेगी। काका- अवश्य, यदि सभी ईमानदार मिलकर अपना एक नवाँ-दसवाँ मोर्चा बना लें और अन्य अल्पमत दलों को अपना सहयोग देने के लिए बाध्य कर सकें। वेबू- काका, अधिकतम अच्छे ईमानदार लोग संसद में पहुँच सके इसका क्या कोई उपाय है? काका- हाँ है ना! हर पार्टी को यह विकल्प दिया जाए कि वह अपने दो प्रत्याशी हर चुनाव क्षेत्र से खड़े कर सके। जीत का निर्णय दोनों प्रत्याशियों के वोटों को जोड़कर मिले जबकि संसद में वह प्रत्याशी जाए जिसे दूसरे से अधिक वोट मिले। इस तरह सभी पार्टियाँ एक दागदार के साथ दूसरे ईमानदार अच्छे प्रत्याशी को टिकिट देने की जोखिम उठा पाएगी और मतदाताओं की समझ की भी परीक्षा हो जाएगी। वेबू- वाह काका ! आपने तो कमाल कर दिया।