मित्र के बारे में गौतम बुद्ध के विचार
मित्र और अमित्र - गौतम बुद्ध
भगवान बुद्ध मित्र और अमित्र की पहचान बताते हुए कहते हैं कि पराया धन हरने वाले, बातूनी, खुशामदी और धन के नाश में सहायता करने वाले मित्रों को अमित्र जानना चाहिए। मित्र उसी को जानना चाहिए जो उपकारी हो, सुख-दुख में हमसे समान व्यवहार करता हो, हितवादी हो और अनुकम्पा करने वाला हो। मित्र और अमित्र की पहचान निम्न बिन्दुओं पर हो सकती है-
* जो मद्यपानादि के समय या आंखों के सामने प्रिय बन जाता है, वह सच्चा मित्र नहीं। जो काम निकल जाने के बाद भी मित्र बना रहता है, वही मित्र है।
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