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Last Updated : मंगलवार, 2 फ़रवरी 2021 (21:39 IST)

farmers Protest: सड़कों पर कील की चादर और 10 लेयर की सुरक्षा, किसान बोले- कोई जानवर को भी इस तरह नहीं रखता...

farmers Protest: सड़कों पर कील की चादर और 10 लेयर की सुरक्षा, किसान बोले-  कोई जानवर को भी इस तरह नहीं रखता... - delhi city nail sheeting on the roads and then security of 10 layers such is the security arrangement at the tikri border
नई दिल्ली। किसानों के प्रदर्शन स्थलों और उसके आसपास कई स्तर की अवरोधक, सड़कों पर लोहे की कीलें, कंटीले तार, सीमेंट के अवरोधकों के बीच लोहे की छड़ें लगाने, डीटीसी बसों एवं अतिरिक्त सुरक्षाकर्मियों की तैनाती जैसी भारी सुरक्षा व्यवस्था की गई है।
यहां गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान प्रदर्शनकारियों एवं पुलिस के बीच हिंसक झड़प के कुछ दिन बाद प्रदर्शन स्थलों पर सुरक्षा के उपाय कड़े किए गए हैं। इस हिंसा में 394 सुरक्षाकर्मी घायल हुए थे।
 
यहां तक इस आंदोलन को कवर कर रहे मीडियाकर्मियों को प्रदर्शनस्थलों पर पहुंचने में मुश्किल आ रही है क्योंकि उन्हें पहले चेकिंग और फिर कई स्तर की अवरोध व्यवस्था से गुजरना पड़ता है। गाजीपुर बार्डर पर बीकेयू की उत्तरप्रदेश इकाई के अध्यक्ष पवन खटाना ने कहा कि आंदोलन तो होता ही है मुश्किल में, आराम से कौन-सा आंदोलन होता है। गाजीपुर बॉर्डर अब उच्च सुरक्षा जैसे किले में तब्दील कर दिया गया है।
 
खटाना ने कहा कि अब तक उत्तरप्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तराखंड से समर्थक गाजीपुर आये हैं जबकि महाराष्ट्र, कर्नाटक और बिहार जैसे राज्यों से भी कुछ लोग पहुंचे हैं।
 
बीकेयू के मेरठ क्षेत्र के प्रमुख ने कहा कि लेकिन सरकार की इस सुरक्षा इंतजाम का क्या मतलब है। कई स्तर की अवरोध व्यवस्था, हमारे सभी ओर सड़कों पर लोहे की कीलें, कंटीलें तार। इंसान को भूल जाइए, कोई जानवर को भी इस तरह नहीं रखता।
 
सिंघू बॉर्डर पर अर्द्धसैनिक बलों के साथ दिल्ली पुलिस के जवान बड़ी संख्या में तैनात किए गए हैं तथा कई स्तर के अवरोध लगाए गए हैं।
 
पंजाब के अमृतसर के किसान पलविंदर सिंह ने कहा कि सरकार ने इंटरनेट पर रोक लगा दी और कांक्रीट डिवाइडर से सड़के बंद कर दीं ताकि जनता को प्रदर्शन के बारे में सूचना नहीं मिले और कोई यहां नहीं आये। भोजन और जलापूर्ति पहले की तरह अच्छी है। स्वच्छता भी सामान्य है। 
 
सिंघू बॉर्डर पर सोमवार को पुलिसकर्मियों के निरीक्षण में श्रमिक सीमेंट के अवरोधकों की दो कतारों के बीच लोहे की छड़ें लगाते हुए देखे गए थे ताकि नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों की आवाजाही सीमित की जा सके।
इस दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर का एक अन्य हिस्सा अब एक प्रकार से बंद कर दिया गया क्योंकि सीमेंट की अस्थायी दीवार खड़ी कर दी गई है। दिल्ली यातायात पुलिस ने ट्विटर पर सीमाओं के बंद रहने और आने-जाने के लिए वैकल्पिक मार्गों के इस्तेमाल का सुझाव दिया है।
 
दिल्ली-गाजीपुर सीमा पर भी सुरक्षा बढ़ा दी गई है, जहां किसान दो महीने से ज्यादा समय से कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।
 
दिल्ली पुलिस ने ट्वीट किया कि गाजीपुर बॉर्डर बंद है। एनएच-24, एनएच 9, रोड नंबर 56, 57ए, कोंडली, पेपर मार्केट, टेल्को टी प्वाइंट, इडीएम मॉल, अक्षरधाम और निजामुद्दीन खत्ता से यातायात का मार्ग बदल दिया गया है। विकास मार्ग, आईपी एक्सटेंशन, एनएच-24 पर ज्यादा आवागमन है। मुसाफिरों को सलाह दी जाती है कि दूसरे बॉर्डर से आवाजाही करें।
 
पुलिस के मुताबिक दिल्ली-गाजीपुर सीमा, किसानों के प्रदर्शन के कारण यातायात के लिए बंद है। यात्रियों को आनंद विहार, चिल्ला, डीएनडी, अप्सरा, भोपुरा और लोनी बॉर्डर का रास्ता लेने का सुझाव दिया जाता है।
 
यातायात पुलिस ने एक और ट्वीट में कहा कि सिंघू, सबोली, पियाऊ मनियारी बॉर्डर बंद हैं। औचंदी, लामपुर, सफियाबाद, सिंघू स्कूल और पल्ला टोल टैक्स बॉर्डर खुले हैं। वैकल्पिक रास्तों का इस्तेमाल करें। पुलिस ने राष्ट्रीय राजमार्ग-44 से भी यातायात का मार्ग बदल दिया है और यात्रियों को बाहरी रिंग रोड, जीटीके और एनएच-44 से बचने की सलाह दी है।
 
दिल्ली पुलिस के आयुक्त एसएन श्रीवास्तव और अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने सोमवार को गाजीपुर बॉर्डर का दौरा किया और सुरक्षा इंतजामों का जायजा लिया।
 
दिल्ली-उत्तरप्रदेश बॉर्डर पर सुरक्षा व्यवस्था और मजबूत जाएगी क्योंकि भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत की भावुक अपील के बाद राजस्थान, उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड से किसान यहां आने का प्रयास कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों पर नजर रखने के लिए ड्रोन का भी सहारा लिया जा रहा है।

स्थानीय लोग कर रहे हैं मदद : सिंघू बॉर्डर पर बिजली कटौती, पानी और साफ-सफाई के अभाव जैसी समस्याओं का सामना कर रहे किसानों की स्थानीय लोग मदद कर रहे हैं। स्थानीय लोग किसानों को बिजली से लेकर अपने घरों के शौचालयों तक के इस्तेमाल की इजाजत दे रहे हैं। किसान सिंघू बॉर्डर के दिल्ली-हरियाणा राजमार्ग पर प्रदर्शन कर रहे हैं।
 
पंजाब के पटिलाया जिले के रहने वाले धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि हम 27 जनवरी से रात में बिजली कटौती का सामना कर रहे हैं। अगर स्थानीय लोग नहीं होते तो हमें पूरी रात बिना बिजली के रहना पड़ता। वे बिजली देकर और अन्य चीजे देकर हमारी मदद कर रहे हैं और हमसे शुल्क भी नहीं ले रहे हैं।
 
उन्होंने कहा कि शुरुआत में तो चिंता हो रही थी कि कहीं रात के अंधेरे का फायदा शरारती तत्व न उठा लें। ईश्वर का शुक्र है कि स्थानीय लोगों की मदद और स्वयंसेवकों की एक टीम 24 घंटे निगरानी करती है ताकि कोई अप्रिय घटना न हो। पटियाला के ही अन्य किसान अवतार सिंह कहते हैं कि स्थानीय लोग "अधिकारों की लड़ाई" में उनके साथ खड़े हैं।
 
अवतार सिंह ने कहा कि आसपास के लोग हमारी महिलाओं की हर संभव तरीके से मदद कर रहे हैं। वे उन्हें अपने शौचालय इस्तेमाल करने दे रहे हैं। वे जानते हैं कि सरकार हमारे आंदोलन को कुचलना चाहती है और वे हमारी दिल से मदद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा उनकी मांगे न माने जाने तक वे एक इंच नहीं हिलेंगे।
 
अवतार सिंह ने कहा कि स्थानीय लोगों ने हमेशा से काफी अच्छा बर्ताव किया। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ दिन पहले प्रदर्शन स्थल पर हुआ हमला स्थानीय लोगों ने नहीं किया था, बल्कि एक राजनीतिक पार्टी द्वारा भेजे गए गुंडों ने किया था। 3 जनवरी को सिंघू बॉर्डर पर राजमार्ग के एक हिस्से में किसानों और कुछ लोगों के बीच संघर्ष हुआ था। इन लोगों का दावा था कि वे स्थानीय हैं। कई किसानों ने कहा कि गणतंत्र दिवस की घटना के बाद स्थिति और खराब हुई है।

उनका आरोप है कि सुरक्षा बढ़ाना और लोगों एवं गाड़ियों की आवाजाही पर रोक लगाने का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि उन्हें खाना, पानी और बिजली जैसी बुनियादी जरूरत की चीज़ें भी न मिलें। इंटरनेट पर रोक से उनकी परेशानी में और इजाफा हुआ है और वे बाहरी दुनिया से कटा हुआ महसूस कर रहे हैं।
 
पंजाब के अमृतसर के पलविंदर सिंह ने कहा कि सरकार ने इंटनेट प्रतिबंधित कर दिया और कांक्रीट के डिवाइडर से सड़कों को बंद कर दिया ताकि लोगों को प्रदर्शन के बारे में जानकारी न मिले और वे यहां न आएं। (भाषा)
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