जनरल अशफाक परवेज कियानी : प्रोफाइल
अशफाक परवेज कियानी पाकिस्तानी सेना के एक चार सितारा जनरल हैं। 26 नवंबर, 2007 को वे जनरल परवेज मुशर्रफ के स्थान पर सेना प्रमुख बने थे। सेना प्रमुख बनने से पहले वे एक इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (आई.एस.आई.) के महानिदेशक थे और मिलिट्री ऑपरेशन्स की डाइरेट्रेट-जनरल (डीजीएमओ) के निदेशक भी थे।24
जुलाई 2010 को तत्कालीन प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने उनका कार्यकाल तीन वर्ष के लिए बढ़ाया था। वे देश के पहले ऐसे सेना प्रमुख थे जिनकी सेवा अवधि को किसी लोकतांत्रिक सरकार ने बढ़ाया था। वर्ष 2012 में फोर्ब्स ने उन्हें दुनिया का 28वां सर्वाधिक शक्तिशाली व्यक्ति बताया था। जनरल कियानी का जन्म पाकिस्तान के पंजाब प्रांत गूजर जिले के वापदा कस्बे में 20 अप्रैल, 1952 को हुआ था। अशफाक के पिता पाक सेना में एक नॉन-कमीशंड ऑफीसर (एनसीओ) थे। अपनी इस पृष्ठभूमि से वे सेना के जूनियर रैंक के अधिकारियों के प्रिय हो गए।स्थानीय हाईस्कूल में पढ़ने के बाद अशफाक को मिलिटरी कॉलेज, झेलम में दाखिल कराया गया था। बाद में, उन्हें काकुल स्थित पाकिस्तान मिलिटरी अकादमी में भेजा गया जहां से उन्होंने 1971 में बैचलर डिग्री हासिल की।अंतत: उन्हें 29 अगस्त, 1971 को प्रसिद्ध बलूच रेजीमेंट की पांचवीं बटालियन में बतौर सेकंड लेफ्टीनेंट के कमीशन दिया गया था। 1971 में भारत के साथ युद्ध में उन्होंने भी भाग लिया था। जनरल कियानी विवाहित हैं और वे एक बेटे और एक बेटी के पिता हैं।इस युद्ध के बाद अशफाक ने अपनी शिक्षा जारी रखने की फिर शुरुआत की और प्रतिनियुक्त पर अमेरिका जाकर उन्होंने फोर्ट बैनिंग स्थित अमेरिकी आर्मी इन्फेंट्री स्कूल में शिक्षा हासिल की। इससे पहले वे यूनाइटेड स्टेट्स आर्मी कमांड और जनरल स्टाफ कॉलेज, लीवनवर्थ से भी ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की। स्वदेश लौटकर उन्होंने नेशनल डिफेंस स्टडीज से वार स्टडीज में मास्टर ऑफ साइंस की डिग्री हासिल की।कियानी एक चेन स्मोकर हैं और गोल्फ में उनकी गहरी रुचि है। वे पाकिस्तान गॉल्फ फेडरेशन के वर्तमान अध्यक्ष भी हैं। अपने लम्बे सैन्य करियर के दौरान कियानी क्वेटा के स्कूल ऑफ इन्फैंट्री एंड टैक्टिक्स की फैकल्टी भी रहे हैं।उन्होंने क्वेटा के कमांड एंड स्टाफ कॉलेज के वार कोर्सेज भी पढ़ाए हैं। अशफाक ने इस्लामाबाद की नेशनल डिफेंस स्टडीज की टीचिंग फैकल्टी के तौर पर भी काम किया। जनरल कियानी, कियानी कुन्बे से हैं जिसके पूर्वज ईरान के कियानी राजवंश से संबंधित रहे हैं। एक लेफ्टीनेंट-कर्नल के तौर पर उन्होंने एक इन्फैंट्री बटालियन और ब्रिगेडियर के तौर पर एक ब्रिगेड पर कमांड किया। बाद में पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की सरकार में डिप्टी मिलिटरी सचिव के पद पर रहे। बाद में, दो सितारा रैंक मिलने पर मेजर जनरल कियानी मरी में तैनात 12वीं इन्फैंट्री डिवीजन के जीओसी बने।उल्लेखनीय है कि यह एक्स कॉर्प्स के अंतर्गत आती है। इसके बाद उन्हें डीजीएमओ बनाया गया। जब उन्हें 2001 में भारत-पाक के बीच भारी तनाव था तब उस दौरान सेना की तैयारी देखने के लिए वे रात में कुछेक घंटों के लिए ही सोते थे।सितम्बर 2003 में तत्कालीन राष्ट्रपति मुशर्रफ ने उन्हें तीन सितारा जनरल का पद सौंपा था और वे लेफ्टीनेंट जनरल बन गए। उसी वर्ष उन्हें रावलपिंडी की एक्स कॉर्प्स का फील्ड ऑपरेशनल कमांडर नियुक्त किया गया था। उनकी प्रोन्नति से साफ हो गया था कि मुशर्रफ को उन पर बहुत भरोसा था।उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान में कोई भी सैन्य विद्रोह एक्स कॉर्प्स कमांडर की मदद के बिना नहीं हो सकता है इस लिहाज उनका यह काम बहुत महत्वपूर्ण था। अक्टूबर 2004 तक वे एक्स कॉर्प्स के कमांडर बने रहे और इसके बाद उन्हें आईएसआई का महानिदेशक तैनात किया गया। कियानी ने आईएसआई अभियानों को उत्तर पश्चिम पाकिस्तान और बलूचिस्तान पर केन्द्रित किया जहां उग्रवादी गतिविधियां चरम पर थीं। आईएसआई में रहते हुए अंतिम दिनों में उन्होंने मुशर्रफ और बेनजीर भुट्टो के बीच संभावित सत्ता की भागीदारी को लेकर समझौता कराया था। मार्च 2007 में जब मुशर्रफ और मुख्य न्यायाधीश इफ्तिखार मुहम्मद चौधरी के बीच बातचीत हुई तब मुशर्रफ के सहयोगी के तौर पर कियानी भी मौजूद थे। तब मुशर्रफ ने चौधरी से कहा था कि उन्हें निलंबित कर दिया गया है। उस समय समूची बैठक के दौरान कियानी के एक शब्द भी नहीं बोला था। अक्टूबर, 2007 में राष्ट्रपति मुशर्रफ ने चार सितारा जनरल की रैंक स्वीकृति की थी और उन्हें वाइस चीफ ऑफ द आर्मी स्टाफ बनाया था। 28 नवंबर, 2007 को कियानी को मुशर्रफ के रिटायर होने पर चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ बना दिया गया।यह समारोह रावलपिंडी के जनरल हैडक्वार्टर्स के पास स्पोर्ट्स स्टेडियम में रखा गया था। पाकिस्तान के इतिहास में वे पहले ऐसे चार सितारा सेना प्रमुख हैं जोकि आईएसआई के प्रमुख भी रहे हैं। अंतिम बार 1999 में जब आईएसआई के महानिदेशक को सेना प्रमुख बनाया गया था तब सेना ने एक रक्तहीन क्रांति के दौरान जनरल परवेज मुशर्रफ को फिर से पद पर बहाल कर दिया था। सेना प्रमुख बनने के बाद जनरल कियानी ने असैनिक सरकार से सभी सैनिक अधिकारियों को हटाने का आदेश जारी किया था। यह उनके पूर्ववर्ती जनरल मुशर्रफ की नीतियों के ठीक उलट था। उन्होंने 7 मार्च, 2008 को कहा था कि पाकिस्तान से सशस्त्र बल राजनीति से दूर रहेंगे। सेना प्रमुख बनाए जाने के बाद कियानी के ईद की छुट्टियों में घर जाने की बजाय सैनिकों के साथ ईद मनाई थी। अमेरिकी सेना अधिकारियों ने उन्हें 'सोल्जर्स सोल्जर' बताया था। हालांकि रेमंड डेविस मामले में उनकी इस बात के लिए आलोचना की गई थी कि उन्होंने अमेरिकी सरकार के दबाव में मामले को रफा दफा कर दिया था। पर जनरल कियानी ने पाक के सीमावर्ती गांवों में अमेरिकी ड्रोन हमलों में निरपराध लोगों के मारे जाने पर गहरी नाराजगी जाहिर की थी और जब सहयोग की नीति को लेकर एक जूनियर अधिकारी ने उनसे पूछा, 'अगर वे (अमेरिकी) हम पर भरोसा नहीं कर सकते हैं तो हम उन पर कैसे भरोसा कर सकते हैं?' उस समय पर मौजूद एक प्रोफेसर का कहना था कि जनरल कियानी का कहना था कि 'हम भी भरोसा नहीं कर सकते हैं।'