Nirjala Ekadashi Muhurat 2020 : निर्जला एकादशी का संदेश, जल ग्रहण नहीं करें, जल का संग्रहण करें
ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष एकादशी को निर्जला एकादशी कहा जाता है। इस दिन लोग निर्जल व्रत रखकर विधि-विधान से दान करते हैं। एकादशी व्रत विशेष रूप से जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु के निमित्त किया जाता है। यह व्रत जीवन में सर्व समृद्धि देने वाला और सदगति प्रदान करने वाला माना गया है। वर्ष भर में कुल 24 एकादशी आती हैं, पर निर्जला एकादशी को सभी एकादशियों में श्रेष्ठ माना गया है। निर्जला एकादशी का व्रत करने से सभी एकादशी के शुभ फल की प्राप्ति होती है।
महाभारतकाल में महर्षि वेदव्यास ने भीम को निर्जला एकादशी व्रत का महत्व बताया था। इस एकादशी को भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है। यह व्रत हमें जल संरक्षण का संदेश देता है। इस दिन जल को ग्रहण नहीं किया जाता है, प्रतीकात्मक रूप से यह संदेश है कि जल को बचाया जाए, ग्रहण तब ही करें जब संग्रहण और संरक्षण कर सकते हैं। हमारी संस्कृति में जल को वरूण देवता माना गया है।
भीषण गर्मी में बिना पानी के रहने का यह व्रत बताता है कि पानी की हर बूंद का महत्व क्या है यह इसके बिना रहकर ही जाना जा सकता है।
भगवान शिव ने कहा है मैं स्वयं जल हूं। अत: जल की सुरक्षा के इस शुभ पर्व पर हमें भी अपनी जिम्मेदारी तय करना चाहिए।
इस व्रत में प्रातः काल स्नान आदि से निवृत होकर मन में भगवान विष्णु के निमित्त व्रत का संकल्प करें। विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। संध्याकाल में व्रत का पारायण करें। अगर निर्जला एकादशी का व्रत न भी कर पाएं तो इस दिन अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान अवश्य करें। इस दिन विशेष रूप से जल का दान करना सबसे श्रेष्ठ माना गया है। काले तिल,भोजन और खाद्य पदार्थों का दान भी कर सकते हैं। निर्जला एकादशी पर व्रत करने और दान करने से जीवन में समृद्धि, अच्छा स्वास्थ्य, वैभव और परिवार में शांति की प्राप्ति होती है।
निर्जला एकादशी 2020 मुहूर्त
एकादशी तिथि प्रारंभ - दोपहर 02:57 (01 जून 2020)
एकादशी तिथि समाप्त - दोपहर 12:04 (02 जून 2020)
पारण मुहूर्त -सुबह 05:23 से 08:8 तक (03 जून 2020)