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Written By WD

कुरआन देता है कर्म की प्रेरणा

कुरआन में है पूरी निजामे जिंदगी

Ramzan month | कुरआन देता है कर्म की प्रेरणा
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कुरआन की तालीम जाति, बिरादरी, वर्ग, संप्रदाय देश की सीमाओं से परे हैं। कुरआन का इल्म (ज्ञान) हर मनुष्य को हर परिस्थिति में धैर्य और साहस के साथ कर्म करने की प्रेरणा देता है। इस दुनिया में बहुत तकलीफें, मुसीबतें, कष्ट, पीड़ाएँ, उलझनें, समस्याएँ एवं संघर्ष हैं। इंसान को अपनी जिन्दगी के सफर में कदम-कदम पर अवरोधों एवं संकटों का सामना करना पड़ता है।

जिन्दगी में कई बार ऐसे मौके आते हैं जब मनुष्य ऐसी विषम स्थितियों के भँवर जाल में फँस जाता है कि उससे बाहर निकलने की राह नहीं सूझती। ऐसे में कुरआनी ज्ञान व्यक्ति को राह बताकर उसका पथ आलोकित करता है। कुरआन के बताए हुए मार्ग या कुरआन की दी हुई शिक्षा के अनुसार आचरण करने से मनुष्य के बीच ईर्ष्या, द्वेष समाप्त हो जाएगा और सौहार्द एवं सद्भावना, मोहब्बत और खुलूस की स्नेह सरिता समाज में बहने लगेगी।

दुनिया में अमन, मोहब्बत, शांति, सद्भाव और मैत्री की स्थापना में कुरआन के उपदेश चमत्कारिक भूमिका अदा कर सकते हैं। इंसान के सामाजिक जीवन का पहला फर्ज कुरआन में गरीबों, लाचारों, दुखियों और पीड़ितों से सहानुभूति एवं उनकी सहायता करना बताया गया है। यही वजह है कि कुरआन पाक की 114 सूरतों में जगह-जगह दान देने की बात कही गई है।

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कुरआन ने इंसान के सामाजिक जीवन की बुनियाद ईश्वर की एकता और इंसानी भाईचारे पर रखी है। कुरआन मजीद में सात मंजिलें, तीस पारेह और 6666 आयतें हैं, जिसमें कहीं भी एक शब्द तक ऐसा नहीं है जो दहशतगर्दी (आतंकवाद) या नफरत को बढ़ावा देता हो या इस दिशा की ओर प्रेरित करता हो। कुरआन की पहली सूरत सूरेह फातेहा से आखिरी सूरत सूरेह नास तक दुनिया के इंसानों की तरक्की, खुशहाली और जितने नेक काम हैं, उसकी राहें बताई गई हैं।

संक्षेप में कहा जाए तो कुरआन पूरी निजामे-जिदगी (जीवन व्यवस्था) है। कुरआन पैदा होने से लेकर मौत तक जिंदगी गुजारने का सलीका भी सिखाती है। कुरआन दुनिया के सब इंसानों के लिए हिदायत का जरिया (माध्यम) है जिसमें सच्ची इंसानियत का सबक हैं।

कुरआन की लोकप्रियता, श्रेष्ठता एवं उपादेयता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि विश्व की अधिकांश भाषाओं में इसका तर्जुमा (अनुवाद) हो चुका है। (नईदुनिया संदर्भ)