- ईशु शर्मा
दुनियाभर में हर साल 21 मार्च को विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस मनाया जाता है। इस दिवस की शुरुआत 2012 में संयुक्त राष्ट्र (United Nation) द्वारा की गई थी ताकि दुनिया में डाउन सिंड्रोम (down syndrome) के लिए जागरूकता बढ़ाई जाए और डाउन सिंड्रोम से पीड़ित लोगों के लिए समानता व सामान्य अवसर प्रदान किए जाए। चलिए जानते हैं कि क्या है डाउन सिंड्रोम का अर्थ-.
क्या है डाउन सिंड्रोम का अर्थ?
डाउन सिंड्रोम को चिकित्सा भाषा में Trisomy-21 भी कहा जाता है। ये एक ऐसी कंडीशन है जिसमें एक व्यक्ति के शरीर में सामान्य से ज़्यादा क्रोमोसोम (chromosome) होते हैं। क्रोमोसोम जीन (genes) का संकुल होता है जो ये निर्धारित करता है कि हमारे शरीर का निर्माण किस प्रकार होगा व हमारा शरीर किस प्रकार से विकास करेगा। ये सिंड्रोम (syndrome) किसी कारण से नहीं होता बल्कि ये एक प्राकृतिक कंडीशन है और इस स्थिति में व्यक्ति का शरीर सही ढंग से विकास नहीं करता। उसके सोचने की क्षमता पर प्रभाव पड़ता है, देखने या सुनने में परेशानी होती है और उसे कई गंभीर मेडिकल परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वर्ल्ड डाउन सिंड्रोम की वेबसाइट के अनुसार 800 बच्चों में से 1 बच्चे में ये कंडीशन पाई जाती है।
क्या है विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस 2023 की थीम?
विश्व डाउन सिंड्रोम 2023 का थीम "हमारे साथ, हमारे लिए नहीं" (With Us Not For Us) निर्धारित की गई है। इस थीम का अर्थ है कि विकलांग व्यक्ति को सामान्य अवसर मिले और ये संदेश विकलांगता के लिए मानवाधिकार-आधारित दृष्टिकोण की पहल है। इसके साथ ही ये थीम विकलांगता के पुराने दान मॉडल से आगे बढ़ने के लिए बनाई गई है जहां विकलांग लोगों को दान की वस्तु, दया के योग्य और समर्थन के लिए दूसरों पर निर्भर माना जाता था पर इस नई सोच के ज़रिए विकलांग लोगों को उचित व्यवहार का अधिकार है और अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए उन्हें भी दूसरों के सामान्य अवसर दिए जाएं।
क्या है डाउन सिंड्रोम के शारीरिक लक्षण?
- बादाम अकार की आंखें व आंखों का आकर छोटा-बड़ा होना।
- नाक के आस पास चेहरा चपटा होना।
- छोटी गर्दन, कान व छोटे हाथ पैर।
- कमज़ोर मांसपेशी व जड़ों का होना।
- कद छोटा होना।
डाउन सिंड्रोम के 5 रोचक तथ्य
1. वर्ल्ड डाउन सिंड्रोम की वेबसाइट के अनुसार 800 बच्चों में से 1 बच्चे में डाउन सिंड्रोम की कंडीशन पाई जाती है।
2. 2,500 साल पहले डाउन सिंड्रोम के प्रमाण वर्तनों और पेंटिंग में पाए गए थे जिसमें डाउन सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्ति की आकृति बनाई गई थी।
3. इस सिंड्रोम का नाम इंग्लिश डॉक्टर John Langdon Down के नाम पर रखा गया था जिसने 1866 में इस कंडीशन का क्लीनिकल विवरण(clinical description) प्रकाशित किया था।
4. इस कंडीशन की पहचान गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में अल्ट्रासाउंड (ultrasound) व ब्लड सैंपल की मदद से की जा सकती है।
5. 1960 के दौरान इस कंडीशन से पीड़ित बच्चे की आयु 10 वर्ष संभावित होती थी पर आज के बेहतर मेडिकल केयर के कारण इनकी उम्र 60 या उससे अधिक संभावित है।