पेंडुलम डाउजिंग : एक रहस्यमय विद्या का राज
- रितेश कर्णिक
हमारे अवचेतन मन में वह शक्ति होती है कि हम एक ही पल में इस ब्रह्मांड में कहीं भी मौजूद किसी भी तरंगों से संपर्क कर सकते हैं, सारा ब्रह्मांड तरंगों के माध्यम से एक-दूसरे से जुड़ा हुआ है।उन तरंगों के माध्यम से हम जो जानना चाहते हैं या हमारे जो भी सवाल होते हैं - जैसे जमीन के अंदर पानी खोजना या कोई खोई हुई चीजों को तलाशना उसे हम डाउजिंग कहते हैं।डाउजिंग किसी भी छुपी हुई बात को खोजने वाली विद्या है। इसके लिए हम पेंडुलम या डाउजिंग रॉड का उपयोग करते हैं। इसमें से कोई यंत्र को हाथों से पकड़ कर जब हम कोई सवाल करते हैं तो यह पेंडुलम अपने आप गति करने लगता है।जिसे हम निर्देश दे सकते हैं कि यदि जवाब सकारात्मक है तो सीधे हाथ की और गति करना है और जवाब यदि नकारात्मक है तो उलटे हाथ की और गति करना है। कुछ अलग तरह के प्रश्नों के लिए हम चार्ट का भी उपयोग कर सकते हैं। आप देखेंगे कि ये गति हम नहीं करते बल्कि हमारे हाथों में लगा यंत्र अपने आप अलग-अलग तरह से गति करने लगता है।जैसे ही हम यंत्र को हाथ में लेकर कोई सवाल करते हैं तो हमारा अवचेतन मन उन तरंगों को आकर्षित कर लेता है और उन्हीं तरंगों के माध्यम से वो यंत्र हमारे हाथों में गति करने लगता है। इसे सिखने के लिए जो जरूरी बात है वह है ध्यान। ध्यान क्यों? क्योंकि जब हम यंत्र से सवाल करते हैं तो हमारा चेतन मन सवाल करता है और जवाब पाने के लिए जरूरी है कि सवाल करने के बाद चेतन मन शांत हो जाए और ऐसा करते ही हमारा अवचेतन मन सक्रिय होकर उन तरंगों को अपनी और आकर्षित करने लगेगा और पेंडुलम यंत्र किसी भी छुपी हुई बात का जवाब देने में सफल हो जाएगा।