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Written By ND

अर्द्घचंद्रासन योग

- सुनील मिश्रा

ध्यान योग
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अर्द्घचंद्रासन आसन कमर को लचीला बनाकर उसके बगल में जमी चर्बी को कम करता है। इस आसन को करते समय शरीर की स्थिति आधे चंद्रमा के समान होती है, इसलिए इसे अर्द्धचंद्रासन कहा जाता है। यह आसन आंतरिक अंगों की मजबूती और कमर पर जमी चर्बी को कम करने में काफी सहायक है।

अर्द्घचंद्रासन योग के लाभ : इस आसन से घुटने, ब्लेडर, किडनी, छोटी आँत, लिवर, छाती, लंग्स और गर्दन तक का भाग एक साथ प्रभावित होता है। इससे इन सभी अंगों का व्यायाम होकर शरीर निरोगी बनता है। श्वांस, उदर, पिंडलियों, पैरों, कंधे, कुहनियों और रीढ़ संबंधी रोगों में भी इस आसन से लाभ मिलता है।

आसन कैसे करें :
- सबसे पहले दोनों पैरों की एड़ी-पंजों को मिलाकर खड़े हो जाएँ। दोनों हाथ कमर से सटे हुए गर्दन सीधी और नजरें सामने रखें।

- अब दोनों पैरों को लगभग एक से डे़ढ़ फिट दूर रखें। री़ढ़ की हड्डी को सीधा रखें। इसके बाद दाएँ हाथ को ऊपर उठाते हुए कंधे के समानांतर लाएँ फिर हथेली को आसमान की ओर करें। इस हाथ को ऊपर उठाते हुए कान से सटाएँ। इस दौरान बायाँ हाथ आपकी कमर से ही सटा रहना चाहिए।

- अब दाएँ हाथ को ऊपर सीधा कान और सिर से सटा हुआ रखते हुए ही कमर बाईं ओर झुकाते जाएँ। इस दौरान आपका बायाँ हाथ स्वतः ही नीचे खिसकता जाएगा। बाएँ हाथ की हथेली को पैर से अलग न करें।

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- जहाँ तक हो सके बाईं ओर झुकें फिर इस अर्द्धचंद्र की स्थिति में करीब 30-40 सेकंड रहें। वापस आने के लिए धीरे-धीरे फिर से सीधे खड़े हो जाएँ। फिर कान और सिर से सटे हुए हाथ को पुनः कंधे के समानांतर ले आएँ। अब हथेली को जमीन की ओर करते हुए इस हाथ को कमर से सटा लें।

- यह तो हुआ दाएँ हाथ से बाईं ओर झुककर किए गए अर्द्धचंद्रासन का पहला चरण। अब इसी आसन को बाएँ हाथ से दाईं ओर झुकते हुए करें। इसके बाद पुनः विश्राम अवस्था में आ जाएँ। यह आसन दिन में 4-5 बार करें।

सावधानी : यदि बगल में या पीठ में दर्द हो तो यह आसन डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही करें।