Last Modified: नई दिल्ली ,
रविवार, 1 दिसंबर 2013 (13:13 IST)
मंगोलपुरी सीट पर कांग्रेस का दावा मजबूत
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नई दिल्ली। दिल्ली की मंगोलपुरी सीट 1993 से ही कांग्रेस का गढ़ रही है और स्थानीय विधायक राजकुमार चौहान लगातार 4 बार यहां से निर्वाचित हुए हैं। ऐसा लगता है कि ‘विकास मंत्र’ पर वे एक फिर यहां से अपनी सीट निकाल ले जाएंगे जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी पार्टी मुद्दों और कार्यकर्ताओं की कमी से जूझ रहे हैं।
यद्यपि चौहान के लिए चीजें कठिन हो सकती थीं यदि भाजपा में चुनाव से ठीक पहले नेतृत्व टकराव न हुआ होता और आम आदमी पार्टी एक ‘विश्वसनीय’ विकल्प होता।
यहां के स्थानीय लोगों का मानना है कि आसमान छूती महंगाई और सरकार की कीमतें काबू करने में अक्षमता के बावजूद चौहान का पिछला रिकॉर्ड और शीला से कोई अन्य बेहतर विकल्प नहीं होने के चलते उनके पास कांग्रेस के अलावा अन्य कोई चारा नहीं है।
अधेड़ उम्र के सरकारी कर्मचारी ने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर कहा कि आधारभूत ढांचा और मूलभूत आवश्यकताओं के मामले में लोक निर्माण मंत्री चौहान ने काफी काम किया है।
कर्मचारी ने कहा कि हमारे यहां पानी, बिजली की अच्छी सुविधा है, जो कि कई अन्य क्षेत्रों में बड़ा मुद्दा है। क्षेत्र में 27 समुदायिक केंद्र हैं, सड़कें शीर्ष स्तर की हैं, पार्कों को देखिए, प्रमुख यातायात चौराहों पर हाईमास्ट लाइटें लगी हैं। हमारे क्षेत्र में एक तरणताल भी है।
अपने को बसपा कार्यकर्ता बताने वाले एक अन्य स्थानीय अतुल नवरिया ने कहा कि मैं अपने पूरे जीवन बसपा का कार्यकर्ता रहा, मुझे यह स्वीकार करना होगा कि चौहान ने काफी काम किया है।
मंगोलपुरी क्षेत्र में नंबर एक है। उन्होंने कई पार्क बनवाए हैं। उन पार्कों में से एक पार्क अमेरिका के एक पार्क की तर्ज पर बना है, जो उन्होंने वहां की एक यात्रा के दौरान देखा था। यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है।
4 दिसंबर को होने वाले चुनाव के लिए मैदान में 7 उम्मीदवार हैं जिसमें एक निर्दलीय उम्मीदवार भी शामिल है। क्षेत्र में बसपा के लिए उम्मीदों को लेकर नवरिया कहते हैं कि वाल्मीकि समुदाय के लोगों को लुभाने की चौहान की कोशिशें बेकार जाएंगी, क्योंकि वे बसपा के प्रति ईमानदार हैं। (भाषा)