चौथी बार टीम इंडिया फाइनल में पहुंची, जानिए 3 विश्वकप फाइनल की कहानी
भारतीय टीम कुल चार बार एकदिवसीय विश्वकप फाइनल में पहुंच चुका है। इससे पहले भारतीय टीम साल 1983, 2003, 2011 में फाइनल में पहुंची थी। इनमें से 2 फाइनल में भारत को जीत मिली थी और 1 में हार मिली थी। भारत की वनडे विश्वकप फाइनल में एकमात्र हार जिस टीम से मिली थी वह ऑस्ट्रेलिया ही है जो इस बार खिताबी भिड़ंत के लिए भारत से भिड़ेगी। जान लेते हैं भारत के लिए कैसे गुजरे हैं वनडे विश्वकप फाइनल
2 अप्रैल 2011, वनडे विश्वकप फाइनल में भारत ने श्रीलंका को 6 विकेटों से हरायाआखिरी बार भारत वनडे विश्वकप के फाइनल में घरेलू मैदान पर पहुंचा था। दिलचस्प बात यह है कि जहां इस बार सेमीफाइनल खेला गया था, तब इस मैदान पर फाइनल खेला गया था, मैदान था मुंबई का वानखेड़े स्टेडियम।
2 अप्रैल 2011 का दिन शायद ही कोई क्रिकेट फैन भूल सके। कप्तान महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni) ने 2011 विश्वकप फाइनल (2011 ODI World Cup Final) से पहले कई बार वनडे मैच में छक्का लगाकर Team India को जिताया था वह सिर्फ अभ्यास था ताकि इस दिन कोई चूक न हो सके। पूरे टूर्नामेंट में फीके रहे महेंद्र सिंह धोनी का बल्ला फाइनल में गरजा और छक्का मारकर उन्होंने टीम इंडिया को जीत दिलाई। धोनी के नाबाद 91 रनों की पारी के कारण उन्हें मैन ऑफ द मैच का अवार्ड दिया गया।
महेला जयवर्धने के शतक की बदौलत श्रीलंका ने भारत को 275 रनों का लक्ष्य दिया। लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम एक समय खराब स्थिती में थी। भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ऊपर बल्लेबाजी करने आए। कुलसेखरा की गेंद पर छक्का लगाते हुए विश्वकप उन्होंने भारत के नाम किया। उनका यह आखिरी छक्का आज भी क्रिकेट प्रेमियों के दिलों में ताजा है।
23 मार्च 2003, वनडे विश्वकप फाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 125 रनों से हरायाकरीब 20 साल बाद वनडे विश्वकप फाइनल में पहुंची भारतीय टीम ने इस विश्वकप में 8 लगातार जीत अर्जित कर रिकॉर्ड स्थापित किया। जिसे हाल फिलहाल रोहित शर्मा की हालिया टीम ने नीदरलैंड्स पर जीत अर्जित कर तोड़ दिया।भारत इस पूरे टूर्नामेंट में सिर्फ ऑस्ट्रेलिया से हारी, वह भी दो बार। दिलचस्प बात यह रही कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत पहले 125 रनों पर सिमट गई। वहीं इतने ही अंतर से इस विश्वकप का खिताबी मुकाबला हार बैठी।
फाइनल में भारत का मुकाबला ऑस्ट्रेलिया से हुआ। रिकी पोंटिग के शानदार शतक की बदौलत ऑस्ट्रेलिया ने 360 रनों का विशालकाय लक्ष्य रख दिया। कंगारू गेंदबाजों के खिलाफ यह लक्ष्य आसान नहीं होने वाला था। ऑस्ट्रेलिया यह फाइनल 125 रनों से जीत गया। भारत इस टूर्नामेंट का रनर अप रहा।भारत के लिए सांत्वाना पुरुस्कार सचिन तेंदुलकर को मैन ऑफ द टूर्नामेंट मिलना रहा जिन्होंने इस विश्वकप में 673 रन बनाए थे।
25 जून 1983 भारत ने वेस्टइंडीज को 43 रनों से हरायालीग मैचों की शुरुआत में वेस्टइंडीज से हुए पहले ही मैच में भारतीय टीम ने विश्वक्रिकेट को चौंका दिया जब गत विजेता को भारत ने 34 रनों से हरा दिया। हालांकि इसको तुक्का माना गया और किसी ने भी यह नहीं सोचा था कि भारत वनडे विश्वकप फाइनल में पहुंचेगा। भारत ने ना केवल फाइनल में जगह बनाई बल्कि विश्वक्रिकेट को चौंकाते हुए वेस्टइंडीज को लगातार तीसरी बार खिताब लेने से रोक दिया।
इस टीम में श्रीकांत के अलावा मोहिंदर अमरनाथ, यशपाल शर्मा, रोजर बिन्नी, संदीप पाटिल, सुनील गावस्कर, बिशन सिंह बेदी, मदनलाल जैसे खिलाड़ी थे।फाइनल में वेस्टइंडीज के कप्तान क्लाइव लॉयड ने टॉस जीतकर पहले भारत को बल्लेबाजी के लिए कहा। भारतीय टीम 54.4 ओवरों में केवल 183 रन जोड़कर आउट हो गई।वेस्टइंडीज की पूरी टीम 52 ओवरों में 140 रन पर आउट हो गई और भारत ने यह मैच 43 रनों के अंतर से जीत लिया। मोहिन्दर अमरनाथ को उनके हरफनमौला प्रदर्शन (26 रन और 3 विकेट) के लिए मैन ऑफ द मैच चुना गया।