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Written By नवीन रांगियाल
Last Updated : शनिवार, 17 अप्रैल 2021 (17:38 IST)

Deep time: 40 दिन गुफा में रहेंगे 15 अजनबी, कोरोना ने दिया आइड‍िया, ये है मकसद

Deep time: 40 दिन गुफा में रहेंगे 15 अजनबी, कोरोना ने दिया आइड‍िया, ये है मकसद - what is deep time
कोरोना ने दुनिया की कई चीजों और सिद्धांतों को बदल दिया है। इसलिए जीवन की अवधारणाएं भी बदल रही हैं, लोग जीने के नए तरीके खोज रहे हैं। ऐसा ही एक कॉन्‍सेप्‍ट आजकल देखने को मिल रहा है। जिसका नाम है डीप टाइम।

इसके तहत कुछ लोग एक ऐसी अनजान जगह पर रहेंगे जहां न वक्‍त पता चलेगा और न ही उनके पास आधुनिक सुविधाएं होगीं, जैसे मोबाइल, लैपटॉप या वॉच आदि। इस तरह वे 40 दिनों तक वहां रहेंगे, लेकिन इसका मकसद क्‍या है, आइए जानते हैं।  
क्या कोई 40 दिन तक अनजान लोगों के साथ गुफा में रह सकता है? इस दौरान कोई इलेक्ट्रॉनिक गैजेट भी न हो तो क्या हालत होगी? समय की अवधारणा को नजरअंदाज कर अलगाव में रहने से शरीर पर होने वाले प्रभाव को जानने के लिए 15 फ्रांसीसी नागरिकों के एक समूह ने यह ‘डीप टाइम’ प्रयोग करने की ठानी है।
दुनिया में अपनी तरह का यह पहला प्रयोग 14 मार्च को शुरू हुआ। 22 अप्रैल तक ये लोग यूरोप के अरिएज की लोम्ब्रिवेस गुफाओं में से एक में रहेंगे। डीप टाइम टीम के पास चार टन राशन और पेयजल है। गुफा को रौशन करने के लिए बिजली पेडल चालित डायनेमो से प्राप्त की जाएगी। गुफा में 12 डिग्री सेल्सियस तापमान और 95 प्रतिशत तक आर्द्रता रहती है। वहां सोने, रहने और स्थान के टॉपोग्राफी अध्ययन के लिए तीन कक्ष बनाए गए हैं। मिशन के लिए 1.2 मिलियन यूरो (लगभग 10.36 करोड़ रुपए) का फंड जुटाया गया है।

ये है मकसद
कुछ घटनाओं के दौरान समय को लेकर हमारी अवधारणा बदल जाती है। कभी यह तेजी से तो कभी धीरे गुजरता महसूस होता है। ऐसे समय दिमाग को कैसा महसूस होता है, समय का बोध कैसे किया जाए, बाहरी समय और बायोलॉजिकल समय को लेकर मस्तिष्क और कोशिकाओं के बीच क्या संबंध है। हमारा दिमाग समय को कैसे देखता है। हमारी घड़ी के और मानक समय में क्या अंतर है। इस हालत में अलगाव का शरीर पर क्या प्रभाव होता है। टीम इन सभी सवालों का जवाब ढूंढ़ने का प्रयास करेगी।

संक्रमण ने दिया आइडि‍या
मिशन प्रमुख क्रिश्चियन क्लॉट ने बताया कि कोरोना महामारी के कारण आइसोलेशन का सामना करने के बाद यह विचार आया। अलग-अलग विश्लेषण क्षमता को ध्यान में रखकर 27 से 50 वर्ष के 15 वॉलिंटियर्स का चयन हुआ। इनमें बायोलॉजिस्ट, ज्वैलर, शिक्षक समेत अन्य विशेषज्ञ शामिल हैं। इनसे प्राप्त डाटा का वैज्ञानिक विश्लेषण करेंगे।

मिशन के निष्कर्ष भावी अंतरिक्ष मिशन, पनडुब्बी चालक दल, खनन टीमों और अन्य लोगों के लिए प्रासंगिक हो सकते हैं। ये लोग लंबे समय तक अलग रहते हुए काम में संलग्न रहते हैं। वर्ष 1972 में फ्रांसीसी भूविज्ञानी मिशेल सिफ्रे भी 6 माह अलगाव में रहे थे।