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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : शनिवार, 9 मई 2020 (18:39 IST)

औरंगाबाद हादसे के चश्मदीद के बयान से सिस्टम पर उठे सवाल, लॉकडाउन बना प्रवासी मजदूरों के लिए 'काल' ?

औरंगाबाद हादसे के चश्मदीद के बयान से सिस्टम पर उठे सवाल, लॉकडाउन बना प्रवासी मजदूरों के लिए 'काल' ? - Lockdown side effect: Train runs over Migrant workers in Aurangabad
कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए जिस लॉकडाउन का सहारा लिया गया था वह अब मजदूरों के लिए काल साबित होता जा रहा है। लॉकडाउन के चलते शहरों में रोजगार छीनने के बाद पाई-पाई के लिए मोहताज मजदूर जो अब अपने घर वापस लौट रहे है उनके असमय काल के गाल में समाने की तस्वीरें और खबरें लगातार सामने आ रही है।

शुक्रवार सुबह महाराष्ट्र के औरंगाबाद से एक ऐसी ही दर्दनाक खबर सामने आई, जहां 16 मजदूर मालगाड़ी के चपेट में आकर अपनी जान गंवा बैठे। मरने वाले सभी मजूदर मध्यप्रदेश से शहडोल और उमारिया के रहने वाले बताए जा रहे है। हादसे के शिकार हुए सभी मजदूर लॉकडाउन के चलते रोजगार छीनने के बाद पैदल ही वापस घर की ओर लौट रहे थे। 

पैदल लौट रहे मजदूर अल सुबह जब थक हार कर आराम करने के लिए ट्रेन की पटरियों पर लेट गए थे तभी मालगाड़ी इनको रौंदते हुए आगे निकल गई। हादसा इतना भीषण था कि मजदूरों के शरीर के परखच्चे 200 मीटर तक उड़ गए,जिसके चलते अब इनकी पहचान में मुश्किलें आ रही है।

औरंगाबाद हादसे ने हमारे सिस्टम पर भी एक नहीं कई सवाल खड़े कर दिए है। हादसे के प्रत्यक्षदर्शी प्रवासी मजदूर धीरेंद्र का आरोप हैं कि उन्होंने एक हफ्ते पहले उमरिया में ई- पास के लिए अप्लाई किया था लेकिन अब तक उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई। हादसे के चश्मदीद धीरेंद्र ने घटना के बारे में बताते हुए कहा कि वह गुरुवार शाम 7 बजे अपने सथियों के साथ पैदल ही गांव जाने के लिए लिए निकले थे। सुबह 4 बजे उनके कुछ साथी जो आगे चल रहे थे थक हारकर आराम करने के लिए पटरी पर बैठ गए तभी उनको झपकी आ गई और मालगाड़ी उनको रौंदते हुए निकल गई। धीरेंद्र ने कहा कि लॉकडाउन में रोजगार छीनने के बाद उनके अपने परिवार को पालने में दिक्कत हो रही थी इसके बाद सथियों के साथ वह अपने गांव जाने के लिए निकले थे।
 
किस्मत के हारे मजबूर मजदूर शायद यह सोच के पटरियों पर सोए थे कि लॉकडाउन के चलते कोई ट्रेन नहीं चल रही है लेकिन उनको क्या पता था कि वह जिस थकान को मिटाने के लिए हल्की नींद लेने जा रहे है वह अब इस नींद से कभी नहीं उठ पाएंगे। 

अभी चार दिन पहले ही उत्तरप्रदेश के मथुरा में मध्यप्रदेश के छतरपुर के 6 मजदूरों को बेकाबू ट्रक ने रौंद डाला था। यह सभी मजदूर भी वापस मध्यप्रदेश लौट रहे थे तभी मौत के मुंह में समा गए। इतना ही नहीं देश में लॉकडाउन के बाद जिस पहले प्रवासी मजदूर की मौत की खबर सामने आई थी वह भी मध्यप्रदेश से ही जुड़ा था।

लॉकडाउन के तुरंत बाद 27 मार्च को दिल्ली से मध्यप्रदेश के मुरैना के लिए पैदल निकले 38 साल के रणवीर की आगरा में मौत हो गई थी। लगातार पैदल चलने के कारण रणवीर के सीने में तेज दुर्द हुआ और वह कुछ ही देर में अपनी प्राण गंवा बैठे।  
 
लॉकडाउन के चलते शहरों में रोजगार छीनने के बाद मजदूरों के पास अपने घर लौटने के सिवाए कोई विकल्प भी शेष नहीं बचा है। 25 मार्च को हुए लॉकडाउन के बाद अब तक अपने घरों की ओर लौटने की जद्दोजहद में सैकड़ों मजदूर भुखमरी, बीमारी और हादसों में अपनी जान गंवा बैठे है। इसके साथ इन असहाय मजदूरों को पुलिस और प्रशासन की बर्बरता का शिकार भी होना पड़ा है। उत्तर प्रदेश के बरेली की वह तस्वीर आज लोगों के जेहन में ताजा है जहां मजूदरों को एक साथ बैठाकर उन पर केमिकल का छिड़काव  कर दिया गया।  

मजूदरों के लगातार हादसों के शिकार होने के बाद मन में यह सवाल भी उठता  है कि  आखिर क्यों ये प्रवासी मजदूर अपने घर की ओर जाने के लिए पैदल ही निकल पड़ते है जबकि उनको अच्छी तरह ये बात मालूम है कि राज्सों में न तो खाना मिलेगा और न ही कई साधन। सैकड़ों किलोमीटर का लंबा समय उनको पैदल ही पार करना होगा। 
 
इस सवालों को जवाब तलाशने के लिए हमको खुद उनकी जगह अपने को रखकर सोचना पड़ेगा। मजदूर आज मजबूर है, मजदूर अपनी मेहनत के बल पर जिन शहरों को संवारता था उन्होंने आज उसको ठुकरा दिया है और वह अपने घर वापस लौटने के लिए मजबूर हो गया  है। 
 
मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार भले ही अब तक एक लाख से अधिक मजदूरों की वापसी का दावा कर रही है लेकिन जमीनी हकीकत से इससे बहुत दूर है। अब भी हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूर देश के विभिन्न राज्यों में फंसे हुए है।
 
औरंगाबाद हादसे के बाद सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने शिवराज सरकार के दावे पर सवाल उठा दिया है। दिग्विजय सिंह ने ट्वीट कर लिखा कि मध्यप्रदेश के 14 प्रवासी मजदूरों को मालगाड़ी ने महाराष्ट्र में कुचल दिया। मध्यप्रदेश सरकार की भार भरकम प्रवासी मजदूरों के हित की योजना का क्या हुआ। इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच होनी चाहि। मध्य प्रदेश सरकार ने क्या इन प्रवासी मजदूरों का पंजीयन किया था। यदि किया था तो उन्हें वापस लाने का किया इंतजाम किया गया। वहीं इस पूरे हादसे को लेकर अब लॉकडाउन को लेकर मोदी सरकार भी कठघरे में आ गई है।