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Last Updated : सोमवार, 17 अगस्त 2020 (16:15 IST)

Lockdown return : भोपाल में 149 केस पर लग गया था लॉकडाउन, इंदौर में 153 पर भी खुल गए बाजार

Lockdown return : भोपाल में 149 केस पर लग गया था लॉकडाउन, इंदौर में 153 पर भी खुल गए बाजार - Lockdown return : lockdown in bhopal in 149 cases, indore opens in 153 cases
इंदौर। दुनिया के सबसे खतरनाक वायरस 'कोरोना' की वजह से देश में लगातार तीन बार स्वच्छता का तमगा हासिल करने वाला इंदौर शहर इस वक्त बारूद के ढेर पर बैठा हुआ है। बस, एक छोटी सी चिंगारी की जरूरत है। आने वाला वक्त किस कदर मुसीबत लेकर आने वाला है, इस पर किसी का ध्यान ही नहीं है। प्रशासन की अपनी मजबूरियां हैं तो जनप्रतिनिधियों को अपनी राजनीति करनी है। डर है कि आने वाले त्योहारों को लेकर पूरे शहर को खोलने का जो बड़ा फैसला लिया गया है, वह कहीं कहर बनकर न टूट पड़े...
 
प्रदेश के मुखिया से लेकर मंत्री तक संक्रमित : कोरोना का कहर पूरे प्रदेश में जारी है। मध्यप्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से लेकर जल संसाधन मंत्री तुलसी राम सिलावट और अन्य भाजपाई नेता कोरोनावायरस से संक्रमित हो चुके हैं। तमाम सावधानियों और सुरक्षा का ढिंढोरा पीटने के बाद भी लोग बाज नहीं आ रहे हैं और लगातार बढ़ते कोरोना मामलों के कारण प्रदेश का आंकड़ा 30 हजार के नजदीक पहुंच रहा है।

राजधानी भोपाल में 149 केस पर लग गया था लॉकडाउन : राजधानी भोपाल में जब एक दिन में 149 केस आए तो 10 दिनों के लॉकडाउन का फरमान जारी हो गया जबकि इंदौर में एक दिन में 153 मामले आने के बाद भी लॉकडाउन से परहेज किया जा रहा है। इंदौर में कोरोना जहां 308 लोगों की जान ले चुका है तो भोपाल में मौत का आंकड़ा 163 है। इंदौर में 7132 कोरोना संक्रमित हैं तो भोपाल में यह संख्या 6165 हो गई है। 
3500 मरीज आने पर लग सकता है लॉकडाउन : प्रदेश के मुख्य सचिव इकबाल सिंह पहले ही कह चुके हैं कि कोरोना के मामले में इंदौर की‍ स्थिति अच्छी है और यदि एक दिन में 400 केस भी आते हैं तो लॉकडाउन नहीं लगेगा, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि इंदौर में आने वाले दिनों में 1481 कोरोना पॉजिटिव आ जाते हैं तो संक्रमितों का आंकड़ा शहर में फिर से लॉकडाउन लगाने की नौबत आ जाएगी। फिलहाल शहर के अस्पतालों में कोरोनावायरस के पॉजिटिव मरीजों की संख्या 2016 है।
 
त्योहारों की सबको फिक्र : इंदौर में सभी को त्योहारों की फिक्र है क्योंकि 1 अगस्त को बकरीद है तो 3 अगस्त को रक्षाबंधन। यही कारण है कि मंगलवार की रात क्राइसिस मैनेजमेंट समिति की बैठक में शहर को 30 जुलाई से लेकर 4 अगस्त तक खोलने पर सहमति बनी। यानी 6 दिनों तक पूरा इंदौर खुल जाएगा, सबको आजादी रहेगी सुबह 7 बजे से रात 8 बजे तक अपना व्यापार-व्यवसाय संचालित करने की।

क्या प्रशासन जनप्रतिनिधियों के दबाव में है : इंदौर को पूरी तरह खोलने के फैसले से लग रहा है कि प्रशासन जनप्रतिनिधियों के दबाव में है क्योंकि जोन 2 को खोलने के बाद मध्यक्षेत्र के जोन 1 को न खोलने को लेकर व्यापारी सड़कों पर उतर आए थे इनका कहना था कि उनके क्षेत्र न खोलने से 4 हजार करोड़ का व्यवसाय प्रभावित हो रहा है। प्रशासन ने 6 दिन की छूट जरूर दी है लेकिन चेतावनी भी दी है कि यदि शहर में कोरोना विस्फोट होता है तो दोबारा लेफ्ट और राइट दुकानों को खोलने का नियम लागू कर दिया जाएगा।
 
नेतागिरी के कारण खतरे में शहर : एक तरफ तो प्रधानमंत्री 'मन की बात' में कोरोना को लेकर बार-बार सावधान कर रहे हैं कि अभी खतरा टला नहीं और यह उतना ही खतरनाक अभी भी है। लेकिन इंदौर में व्यापारियों और अन्य लोगों के दबाव में बाजार खुलवाने के लिए भी कांग्रेस-भाजपा के नेता सड़कों पर उतरने के साथ अधिकारियों पर दबाव बनाते रहे और यही कारण है कि उन्होंने पूरे इंदौर को खुलवाकर दम लिया। क्या यह सब आने वाले उपचुनाव के लिए जनता की सहानुभूति बटोरने की कवायद है?

कहीं कुर्बानी व्यर्थ न चली जाए : कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए कई लोगों ने कुर्बानियां दी हैं। याद करिए इसी शहर के कई चिकित्सकों, पुलिस अधिकारियों ने इस भयानक बीमारी में अपना कर्तव्य निभाते हुए अपनी जान गंवाई है। इन्हीं 'कोरोना वॉरियर्स' की कुर्बानियों से शहर संभला था लेकिन अब हालत यह है कि कोरोना रोजाना नए क्षेत्रों में अपने पैर पसार रहा है और अस्पताल कोरोना मरीजों से भरते जा रहे हैं।

गाइडलाइन का पालन नहीं : शहर में एक बड़ी समस्या सामने आ रही है कि जनता को सोशल डिस्टेंसिंग का पाठ पढ़ाने वाले नेता खुद इसे नहीं मान रहे हैं। रैलियां निकाली जा रही है, जुलूस के जरिये भीड़ जमा हो रही है, चौपाल सजाई जा रही है और मंच से भाषण पिलाए जा रहे हैं। गाइडलाइन के अनुसार कोरोना होने के बाद निगेटिव नतीजा आने पर कम से कम 14 दिन होम क्वारेंटाइन जरूरी है, पर लगता है यह बात नेताओं पर लागू नहीं होती वरना इतनी बड़ी संख्या में राजनीतिज्ञ अस्पताल के बिस्तर तक नहीं पहुंचते।




शहर की असली हालत : जिन क्षेत्रों में प्रशासन ने पूरी तरह से छूट दी है, उसका मखौल उड़ाया जा रहा है। सड़कों पर आम जरूरतों की दुकानों से लेकर हर तरफ आप भीड़ देख सकते हैं। अधिकतर जगह, खासतौर पर मंडियों, मोबाइल की दुकानों और तंग गलियों में बसे बाजारों में सोशल डिस्टेंसिंग को मजाक बनाकर रख दिया है।

10 दिनों में मिले 1074 नए मरीज : शहर में पिछले 10 दिनों के आंकड़े देखें तो पाएंगे कि 1074 नए कोरोना पॉजिटिव मरीज मिले हैं। यानी औसतन 100 से ज्यादा। तमाम सुरक्षा उपायों और सख्ती के बाद भी इतनी अधिक संख्या में मरीजों का मिलना हैरत में डालने वाला है। मंगलवार को जोन 2 में बड़ी संख्या में लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग को तोड़ा, दुकानों पर भी भारी भीड़ रही। सब्जियों के ठेलों पर लोग टूट पड़े।

 
 
 
 
 
 
 
 
क्या कहते हैं जिम्मेदार : इंदौर के कलेक्टर मनीष सिंह शहर में बढ़ते कोरोना मरीजों पर चिंता जताते हुए मीडिया में चर्चा करते हुए कह चुके हैं कि यदि इसी तरह कोरोना केस आते रहे तो हो सकता है शहर में भी कड़े विकल्पों पर विचार कर सकते हैं। हालांकि प्रशासन का दावा है कि शहर में 11 हजार से अधिक बिस्तरों की व्यवस्था की है और अब बड़ी संख्या में ए सिम्टोमैटिक मरीजों को होम आइसोलेशन में भी रखा जा रहा है। इसके अलावा अब होटलों में भी पैड आइसोलेशन की अनुमति दी जा रही है।

जिला प्रशासन की मजबूरी : जिला प्रशासन की मजबूरी यह है कि वह खुद फैसले नहीं ले रहा है बल्कि जिला आपदा प्रबंधन समिति के फैसलों को पालन करवा रहा है। शहर में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले प्रशासन की नींद उड़ा रहे हैं। जिला प्रशासन नगर निगम को ठेले वालों पर सख्ती करने का आदेश देकर उसके परिणाम भुगत चुका है, जहां तमाम जन प्रतिनिधि गरीब और मजलूमों के साथ खड़े हो गए थे और यहां तक कि वे अपनी ही सरकार के खिलाफ आंदोलन करने की अगुवाई करने की भी धमकी दे चुके हैं।
 
मिल क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौती : सोमवार से मिल क्षेत्र खासकर मालवा मिल, पाटनीपुरा, परदेसीपुरा के इलाकों में सबसे बड़ी चुनौती मिली। मालवा मिल और पाटनीपुरा से भमोरी के पुल तक सड़क किनारे न केवल ठेले लगते हैं बल्कि फुटपाथ पर लोग व्यवसाय करते है। नगर निगम की नकेल कसने के बाद इन क्षेत्रों के लोगों द्वारा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करने से खतरा और बढ़ गया है।
 
शहर की अवाम लॉकडाउन के पक्ष में : मध्य क्षेत्र के रहने वाले अनिल माहेश्वरी का कहना है कि पहले हमें बाहर निकलने की इच्छा होती थी लेकिन बाजारों में उमड़ी भीड़ के कारण अब हम खुद ही घर से नहीं निकल रहे और अच्छा हो यदि कुछ दिनों का लॉकडाउन लग जाए।
 
पश्चिमी इंदौर में हाउस वाइफ अंजली वर्मा बताती हैं कि उन्होंने अपने परिवार को कह दिया है कि अभी बाहर से सब्जी इत्यादि न खरीदें क्योंकि कोरोना वायरस का खतरा है। उनका कहना है भले ही बाजार खुले हो, हम तो दाल-रोटी से काम चला लेंगे।