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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : बुधवार, 5 जनवरी 2022 (13:27 IST)

एक्सप्लेनर: भारत में माइल्ड लक्षणों वाले ओमिक्रॉन वैरिएंट से क्या है सबसे बड़ा खतरा?

एक्सप्लेनर: भारत में माइल्ड लक्षणों वाले ओमिक्रॉन वैरिएंट से क्या है सबसे बड़ा खतरा? - Explainer: Why is the Omicron variant with mild symptoms dangerous?
देश कोरोना की तीसरी लहर की चपेट में है। कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के रफ्तार पकड़ने के साथ हर नए दिन के साथ कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे है। एक्सपर्ट मानते हैं कि भारत में कोरोना की तीसरी लहर का बड़ा कारण ओमिक्रॉन वैरिएंट का तेजी से अपने पैर पसारना है। ओमिक्रॉन वैरिएंट देश के 24 राज्यों में अपनी दस्तक दे चुका है। भले ही अब तक कोरोना संक्रमित नए मामलों में ओमिक्रॉन वैरिएंट से संक्रमित लोगों की संख्या कम दिख रही हो लेकिन वास्तव में यह बहुत ज्यादा है।
 
हल्के लक्षणों वाला ओमिक्रॉन वैरिएंट घातक क्यों?- ओमिक्रॉन वैरिएंट से संक्रमित लोगों के केवल हल्के लक्षण होने का सबसे बड़ा कारण इसका मनुष्य के फेफड़ों को संक्रमित नहीं करना है। ‘वेबदुनिया’ से बातचीत में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान संस्था (ICMR) के महामारी विज्ञान और संक्रामक रोग विभाग के पूर्व प्रमुख पद्मश्री डॉक्टर रमन गंगाखेडकर कहते हैं यह सही है कि ओमिक्रॉन डेल्टा वैरिएंट की तुलना में फेफड़ों को बहुत कम संक्रमित करता है इसलिए पीड़ित मरीज में गंभीर लक्षण नहीं दिखाई देते है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि इससे पीड़ित लोग अस्पताल में भर्ती नहीं होंगे।  
वह कहते हैं कि कोरोना की तीसरी लहर में लोगों की डेथ नहीं होगी यह कहना अभी मुश्किल है, क्योंकि देश की बड़ी आबादी को अभी वैक्सीन नहीं लगी है। इसके साथ ऐसे लोग जिनको वैक्सीन नहीं लगी है उनके ओमिक्रॉन वैरिएंट से संक्रमित होने पर भी अस्पताल में भर्ती होना पड़ सकता है। कोरोना की तीसरी लहर में भी इस बात की पूरी संभावना है कि पहली लहर की तरह ही लोगों की संक्रमित होकर मौत हो सकती है लेकिन दूसरी लहर की तुलना डेथ नहीं होगी।  
 
ओमिक्रॉन वैरिएंट से कम्युनिटी स्प्रेड का खतरा अधिक-हल्के लक्षणों वाला कोरोना का ओमिक्रॉन वैरिएंट डेल्टा वैरिएंट की तुलना में कई गुना अधिक संक्रामक है जिसके चलते यह बहुत कम समय में बड़ी आबादी को संक्रमित कर रहा है। ओमिक्रॉन वैरिएंट के अधिक संक्रामक होने की वजह से इसके कम्युनिटी स्प्रेड का अधिक खतरा हो गया। भोपाल और इंदौर में कोरोना के जो नए केस आए है उसमें नया ट्रैंड यह देखने को मिल रहा है कि एक ही परिवार के कई सदस्यों की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आ रही है। 

‘वेबदुनिया’ बातचीत में से भोपाल एम्स के पूर्व डायरेक्टर प्रो. सरमन सिंह कहते हैं कि ओमिक्रॉन वैरिएंट में अब तक मिले सारे वैरिएंट तो है ही लेकिन इसके अलावा भी इसमें 32 म्यूटेशन हो चुके है। ओमिक्रॉन वैरिएंट में डेल्टा वैरिएंट के म्यूटेशन के साथ एक पूरा का पूरा जीन जिसे एस जीन ( S Gene) कहते है उसमें म्यूटेशन हो चुका है। इतने म्यूटेशन होने की वजह से इसमें संक्रमण की दर बहुत तेजी से लोगों को संक्रमित कर रहा है। 
 
ओमिक्रॉन वैरिएंट की जांच बड़ी चुनौती-कोरोना संक्रमित व्यक्तियों में ओमिक्रॉन वैरिएंट की पहचान जीनोम सीक्वेंसिंग से ही हो रही है। यहीं जीनोम सीक्वेंसिंग ओमिक्रॉन वैरिएंट की पहचान में सबसे बड़ी चुनौती है। प्रोफेसर सरमन सिंह कहते हैं कि ओमिकॉन वैरिएंट में म्यूटेशन होने से डायग्नोसिस में जो एंटीबॉडी टेस्ट करते है उसमें भी समस्या आएगी और यह आसानी से पकड़ में नहीं आएगा।

अभी तक कोरोना की जांच में जो आरटीपीसीआर टेस्ट करते है उसमें एक जीन बिल्कुल भी डिटेक्ट नहीं करेगा। ऐसे में अगर जो लेबोरेटरी चलते वह अवयरनेस नहीं होंगे वह पहचान नहीं कर पाएंगे, ऐसे में वह संक्रमित व्यक्ति की रिपोर्ट को भी निगेटिव दे सकते है। 

ओमिक्रॉन वैरिएंट के केस कम संख्या में सामने आने का सबसे बड़ा जीनोम सीक्वेंसिंग सीमित होना है। इसको इससे समझा जा सकता है मध्यप्रदेश का इंदौर शहर जो कोरोना का हॉटस्पॉट बना हुआ है वहां पर स्वास्थ्य विभाग केवल 7 ओमिक्रॉन के केस बता रहा है लेकिन दूसरी ओर सरकार के प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा कह चुके है कि इंदौर में नए केसों में आधे ओमिक्रॉन संक्रमित केस है। कोरोना की तीसरी लहर के पीछे लोगों का कोरोना प्रोटोकॉल को पालन नहीं करना है। ऐसे में जब कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिंयट को हल्के लक्षणों वाला वायरस माना जा रहा है तब लोग केसों की संख्या में इजाफा होने के बाद नहीं सतर्क हो रहे है। 
 
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