अध्ययन में दावा, Covishield टीका लेने वाले प्रत्येक 4 में से 1 व्यक्ति में हल्के दुष्प्रभाव दिख रहे...
नई दिल्ली। लांसेट संक्रामक बीमारी जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में दावा किया गया है कि कोरोनावायरस (Coronavirus) कोविड-19 से प्रतिरक्षा हेतु फाइजर या एस्ट्राजेनेका (भारत में कोविशील्ड के नाम से दिया जा रहा) का टीका लेने वाले प्रत्येक 4 में से 1 व्यक्ति को हल्के और कुछ समय रहने वाले लक्षण जैसे सिरदर्द, चक्कर के रूप में दुष्प्रभाव का सामना करना पड़ रहा है।
ब्रिटेन स्थित किंग्स कॉलेज लंदन के अनुंसधान के मुताबिक सबसे अधिक दुष्प्रभाव (टीका लगने के स्थान से इतर) शुरुआती 24 घंटे में चरम पर होता है और सामान्यत: एक-दो दिन तक बना रहता है। जो कोविड लक्षण अध्ययन ऐप के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि फाइजर और एस्ट्राजेनेका टीके के परीक्षण के दौरान दिखे दुष्प्रभाव से बहुत दुष्प्रभाव आम आबादी में देखने को मिल रहा है।
अध्ययन में यह भी दावा किया गया है कि टीके की पहली खुराक लेने के 12 से 21 दिनों में संक्रमण दर में काफी कमी आई है। अध्ययन के मुताबिक फाइजर टीके की पहली खुराक लेने पर संक्रमण दर में 58 प्रतिशत और एस्ट्राजेनेका टीका की पहली खुराक लेने पर संक्रमण दर में 39 प्रतिशत की कमी आई।
अनुसंधान के मुताबिक फाइजर टीका लेने के 21 दिनों के बाद संक्रमण दर में 69 प्रतिशत की जबकि एस्ट्राजेनेका के टीके से इस अवधि के बाद संक्रमण दर में 60 प्रतिशत की कमी आई। दैहिक प्रभाव में सिरदर्द, चक्कर आना, कंपकपी होना, डायरिया होना, बुखार, जोड़ों में दर्द, मांसपेशियों में दर्द और उल्टी होना शामिल है।
वहीं स्थानीय दुष्प्रभाव का अभिप्राय जहां पर टीका लगा है उस स्थान पर दर्द होना, सूजन आना, खुजली होना आदि है। अनुसंधान दल का नेतृत्व कर रहे किंग्स कॉलेज लंदन के प्रोफेसर एवं जो कोविड लक्षण अध्ययन ऐप में वैज्ञानिक टी स्पेक्टर ने कहा, ये आंकड़े दुनिया के लोगों को भरोसा देंगे कि टीका लगने के बाद सामान्य तौर पर हल्के और कुछ समय के लिए मामूली दुष्प्रभाव सामने आते हैं, खासतौर पर करीब 50 साल के लोगों में जिन्हें संक्रमण का सबसे अधिक खतरा है।
यह अध्ययन जो कोविड लक्षण अध्ययन ऐप के 6,27,383 उपयोगकर्ताओं के अनुभव पर आधारित है जिन्होंने स्वयं दैहिक एवं स्थानीय असर की जानकारी आठ दिसंबर से 10 मार्च के बीच फाइजर या एस्ट्राजेनेका टीके की पहली अथवा दूसरी खुराक लगवाने के बाद दी। अध्ययन में पाया गया कि 55 साल से कम उम्र के लोगों और महिलाओं में दुष्प्रभाव आम है।(भाषा)