गुरुवार, 28 मार्च 2024
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ईसाई धर्म में ईस्टर संडे क्यों मनाया जाता है, जानिए

Easter sunday 2021 | ईसाई धर्म में ईस्टर संडे क्यों मनाया जाता है, जानिए
इस बार 28 मार्च पाम संडे, 2 अप्रैल को गुड फ्रायडे और 4 अप्रैल 2021 को ईस्टर संडे मनाया जाएगा। रविवार को यीशु ने येरुशलम में प्रवेश किया था। ज्यादातर विद्वानों के अनुसार सन 29 ई. को प्रभु ईसा गधे पर चढ़कर यरुशलम पहुंचे थे और लोगों ने खजूर की डालियां बताकर उनका स्वागत किया था इसीलिए इस दिन को 'पाम संडे' कहते हैं। यहीं यरुशलम या जेरूसलम में उनके खिलाफ षड़यंत्र रचा गया और उन्हें शुक्रवार को सूली पर लटका दिया गया। सूली पर लटाने की इस घटना को 'गुड फ्रायडे' कहते हैं। रविवार के दिन सिर्फ एक स्त्री मेरी मेग्दलेन ने उन्हें उनकी कब्र के पास जीवित देखा। जीवित देखे जाने की इस घटना को 'ईस्टर संडे' के रूप में मनाया जाता है।
 
 
फिर ईसा मसीह एक दिन एक 29 ई. में गधी पर सवार होकर यरुशलम पहुंचे। वहां उन्होंने अपने सभी शिष्यों के साथ अंतिम भोज किया और वहीं ईसा मसीह ने संकेतों में समझाया कि उनके साथ क्या होने वाला है। वहीं उन्हें दंडित करने के षड़यंत्र रचा गया। कहते हैं कि उनके एक शिष्य जुदास ने उनके साथ विश्‍वासघात किया, जिसके चलते उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और फिर यहूदियों की महासभा में उनको इसलिए प्राणदंड का आदेश दिया गया और उन्हें क्रूस पर लटका दिया गया। यीशु के क्रूस के पास उसकी मां, मौसी क्लोपास की पत्नी मरियम, और मरियम मगदलिनी खड़ी थी।
 
क्रूस के चढ़ाने के बाद क्या हुआ इस संबंध में कई कहानियां मिलती है। उनमें से एक यह है कि ईसा मसीह को सूली पर से उतारने के बाद उनका एक अनुयायी शव को ले गया और उसने शव को एक गुफा में रख दिया गया था। उस गुफा के आगे एक पत्थर लगा दिया गया था। वह गुफा और पत्थर आज भी मौजूद है। इसे खाली कब्र कहा जाता है। बाद में उनके शव को विधिवत रूप से दूसरी ओर दफनाया गया।
 
यरुशलम के प्राचीन शहर की दीवारों से सटा एक प्राचीन पवित्र चर्च है जिसके बारे में मान्यता है कि यहीं पर प्रभु यीशु पुन: जी उठे थे। जिस जगह पर ईसा मसीह फिर से जिंदा होकर देखा गए थे उसी जगह पर यह चर्च बना है। इस चर्च का नाम है- चर्च ऑफ द होली स्कल्प्चर। स्कल्प्चर के भीतर ही ईसा मसीह को दफनाया गया था। माना यह भी जाता है कि यही ईसा के अंतिम भोज का स्थल है।

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रविवार के दिन सिर्फ एक स्त्री (मेरी मेग्दलेन) ने उन्हें उनकी कब्र के पास जीवित देखा। जीवित देखे जाने की इस घटना को 'ईस्टर' के रूप में मनाया जाता है। बाइबल की मान्यता अनुसार ईसा, यह साबित करने के लिए कि वे सचमुच मृतकों में से जी उठे हैं, प्रेरितों को समझाने का कार्य पूर्ण करने और अपनी कलीसिया की स्थापना करने के लिए, 40 दिनों तक इस दुनिया में रहे। इसके बाद वे प्रेरितों को जैतून पहाड़ पर ले गए और अपने हाथ उठाकर उन्हें आशीर्वाद देते हुए स्वर्ग की ओर उड़ते चले गए, जब तक कि एक बादल ने उन्हें नहीं ढंक लिया। तब दो स्वर्गदूत दिखाई दिए और उनसे कहा, 'यही येसु, जिसे तुम अपने बीच से स्वर्ग की ओर जाते देख रहे हो फिर आएंगे, जैसे तुमने उस स्वर्ग की ओर जाते देखा है। तब वह समस्त मानवों का न्याय करेगा।'
 
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रविवार की सुबह जब अन्धेरा था तब मरियम मगदलिनी कब्र पर आई और उसने देखा कि कब्र से पत्थर हटा हुआ है। फिर वह शमौन पतरस और उस दूसरे शिष्य के पास पहुंची और उसने कहा कि वे कब्र से यीशु की देह को निकाल कर ले गए। सभी वहां पहुंचे और उन्होंने देखा की कफन के कपड़े पड़े हैं। सभी ने देखा वहां यीशु नहीं थे। तब सभी शिष्य चले गए, लेकिन मरियम मगदलिनी वहीं रही। रोती बिलखती मगदलिनी ने कब्र में फिर से अंदर देखा जहां यीशु का शव रखा था वहां उन्होंने श्वेत वस्त्र धारण किए, दो स्वर्गदूत, एक सिरहाने और दूसरा पैताने, बैठे देखे। स्वर्गदूत ने उससे पूछा, तू क्यों विलाप कर रही है? तब मगदलिनी ने कहा कि वे मेरे प्रभु को उठा ले गए हैं। यह बोलकर जैसी ही वह मुड़ी तो उसने देखा कि वहां यीशु खड़े हैं। यीशु ने मगदलिनी से कहा मैं अपने परमपिता के पास जा रहा हूं और तु मेरे भाइयों के पास जा। मरियम मग्दलिनी यह कहती हुई शिष्यों के पास आई और उसने कहा कि मैंने प्रभु को देखा है।...ऐसा भी कहा जाता है कि यीशु ने कुछ शिष्यों को भी दर्शन दिए।- बाइबल यूहन्ना 20