प्रभु यीशु के पुनरागमन का इंतजार
- डॉ.केपी पोथन
शुभ शुक्रवार 2000 वर्ष पूर्व की ईसा मसीह के क्रूसारोहण की सालगिरह है। यह रोमन साम्राज्य में प्रचलित सबसे क्रूर मृत्यु-दंड का स्वरूप था। ईसा मसीह साढ़े 33 वर्ष के एक जवान व्यक्ति थे। उनकी माता का नाम मरियम था। यीशु का जन्म कुआरी मरियम से पवित्र आत्मा के द्वारा हुआ था। यीशु अपना सार्वजनिक कार्य 30 वर्ष की आयु में प्रारंभ किया था। यीशु ने जो कुछ उपदेश दिया और कार्य किया, वे सब कुछ मती मरकूस, लूका एवं यूहन्ना के सुसमाचारों में लिखा गया है। यद्यपि यीशु ने सुसमाचार फैलाया, बीमारों को चंगा किया, भूखों को भोजन दिया और दीन-दुखियों की सहायता की। यहूदी लोग यीशु से नफरत करते थे।यीशु क्रांतिकारी विचारों एवं जीवन शैली के व्यक्ति थे। वे रूढ़िवादी प्रथाओं, परंपराओं, मूल्यों एवं संस्कारों को बदल डालना चाहते थे। यीशु समाज द्वारा बहिष्कृतों के घर जाते थे, उनके साथ भोजन करते थे। यीशु ने उनके सामने लाई गई व्याभिचारिणी स्त्री के पापों को माफ कर दिया।
यहूदियों के नियमों के अनुसार ऐसी स्त्री को पथराव करके मार डालना था। यीशु ने लोगों से कहा कि परमेश्वर हमारे स्वर्गीय पिता हैं और वे खुद दुनिया में इसलिए आए कि वे मानवता को ईश्वर का प्रेम और क्षमा करने की प्रकृति सिखाए। उन्होंने कहा- 'ईश्वर प्रेम है, ईश्वर से प्रेम रखो और मानव से भी प्रेम रखो, यही ईश्वर की आज्ञाओं का सारांश है।' ऐसी वाणियों से यहूदी क्रोधित हुए। वे यीशु को मार डालना चाहते थे।यीशु को क्रूस पर चढ़ाए जाने से संबंधित समस्त घटनाओं का संक्षिप्त परंतु सूक्ष्म वर्णन संता मरकूस ने लिखा है। यीशु को सूली पर चढ़ाया गया। यीशु की मृत्यु हो गई। अरिमथ्या के यूसफ नामक व्यक्ति ने यीशु की लाश उठाकर ले जाने की अनुमति माँगी और यूसफ को यीशु की लाश दी गई। यूसफ ने अच्छे नए वस्त्र लाकर यीशु की लाश को लपेटा और उसे पत्थर पर बनाई हुई एक कब्र में रखा और कब्र के मुँह पर एक बड़ा पत्थर रखा। मरियम मग्दलीन और अन्य स्त्रियों ने यीशु के रखे हुए स्थान को देख लिया। यीशु कब्र में से तीसरे दिन जी उठे। वे सबसे पहले मरियम मग्दलीन के समक्ष प्रकट हुए। उसने जाकर अन्य लोगों को बताया। इस प्रकार मरियम मग्दलीन सबसे पहली प्रचारक बनी। यीशु अपने चेलों के समक्ष कई बार प्रकट हुए। यीशु ने उन्हें स्पष्ट कहा- 'पृथ्वी और स्वर्ग का सारा अधिकार मुझे दिया गया है। इसलिए तुम जाओ और सभी जातियों के लोगों को चेला बनाओ।' मती (28-18-19)पुनरुत्थान के पश्चात 10 दिन तक यीशु उनके चेलों तथा अन्य लोगों के सामने प्रकट हुए। उन्होंने उन लोगों को यकीन दिलाया कि वे सचमुच जी उठे हैं। उन्होंने अपने शिष्यों को पवित्र आत्मा के वरदान प्राप्त करने तक यरुशलम में ही ठहरने को कहा। तत्पश्चात उनका स्वर्गारोहण हुआ। स्वर्ग दूत ने चेलों से कहा- 'यही यीशु जो तुम्हारे पास से स्वर्ग पर उठा लिया गया है। जिस स्थिति से तुमने उसे स्वर्ग को जाते देखा है, उसी रीति से वह फिर आएगा।' अब विश्व भर के विश्वासी लोग यीशु के पुनरागमन का इंतजार कर रहे हैं। बाइबल की अंतिम किताब यीशु के पुनरागमन के बारे में बहुत कुछ बातें बताती है। यीशु अपने अनुयायियों को कहते हैं, निश्चित ही मैं शीघ्र आ रहा हूँ।