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Written By वार्ता

छत्तीसगढ़ में 18 सीटों पर कांटे का मुकाबला

छत्तीसगढ़ में 18 सीटों पर कांटे का मुकाबला -
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रायपुर। छत्तीसगढ़ में पहले चरण की 18 सीटों पर सोमवार को होने चुनाव में अधिकांश सीटों पर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी एवं मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के बीच सीधा एवं कांटे का मुकाबला है।

भाजपा के लिए इस चरण में अपने कब्जे की सीटें बचाए रखने की जहां गंभीर चुनौती है वहीं कांग्रेस को इस इलाके में वापस अपने खोए जनाधार को हासिल कर सत्ता में वापसी की राह को आसान बनाने का लक्ष्य है। मौजूदा समय में इन 18 में से 15 सीटें भाजपा के कब्जे में हैं जबकि शेष 3 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है।

इन 18 में से 12 सीटें घुर नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग की हैं। इनमें 11 सीटों पर भाजपा तथा कांग्रेस के कब्जे में केवल 1 सीट है। भाजपा पिछले दो चुनावों में बस्तर संभाग में शानदार जीत हासिल कर सत्ता में बनी हुई है जबकि दोनों चुनावों में उसे मैदानी इलाके में कांग्रेस से उसे कड़ी चुनौती मिलती रही है।

इस चरण में ही राजनांदगांव जिले की 6 सीटों पर चुनाव हो रहा है। जिले की 4 सीटें भाजपा तथा 2 कांग्रेस के कब्जे में हैं। राजनांदगांव सीट से मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह दूसरी बार चुनाव में उतरे हैं। कांग्रेस ने उनके खिलाफ झीरम घाटी नक्सली हमले में शहीद पूर्व विधायक उदय मुदलियार की पत्नी अलका मुदलियार को मैदान में उतारा है। इस सीट पर विकास एवं सहानुभूति के बीच मुकाबला है।

कांग्रेस ने बस्तर में अपना जनाधार बढ़ाने के लिए लंबे समय से इस इलाके में जोर लगा रखा है। पिछले मई माह में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर नक्सली हमले में कई वरिष्ठ नेताओं की शहादत के बाद भी पार्टी पूरी ताकत झोंके हुए है। पार्टी के राष्ट्रीय सचिव भक्तचरण दास पिछले काफी दिनों से बस्तर में ही कैंप कर रहे हैं।

भाजपा ने कांग्रेस की रणनीति के मद्देनजर अपनी सीटों को बचाए रखने के लिए पूरी ताकत झोंकी है। इस बार उसने बस्तर के पूर्व युवराज कमलचंद भंजदेव को भी अपने साथ कर लिया है। इसके बाद भी उसे राज्य के अस्तित्व में आने के बाद पहली बार कड़े मुकाबले का सामना करना पड़ रहा है।

इस इलाके में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) का भी आधार है। वह भी कम से कम 5 सीटों पर लड़ाई को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश कर रही है।

कांग्रेस ने इस इलाके में अधिकांश नए उम्मीदवार उतारे हैं जबकि भाजपा ने पुरानों पर ही दांव आजमाया है। भाजपा ने क्षेत्र की इकलौती सामान्य सीट जगदलपुर से मौजूदा विधायक संतोष बाफना को मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने इस सीट पर भी आरक्षित वर्ग के नए उम्मीदवार सामू कश्यप को मैदान में उतारकर सभी को चौंका दिया।

बाफना को अपने काम पर जबकि कश्यप को युवा तथा राहुल गांधी की पसंद का होने के साथ ही भाजपा के खिलाफ सत्ताविरोधी माहौल से फायदा मिलने की उम्मीद है। दोनों ही अपनी जीत के प्रति आश्वस्त हैं जबकि निष्पक्ष जानकारों का मानना है कि दोनों में कांटे की टक्कर है। सीट पर चुनावी प्रबंध ही हार-जीत को तय करेगा।

बस्तर सीट पर भाजपा विधायक डॉ. सुभाऊ कश्यप एवं कांग्रेस के लखेश्वर बघेल फिर आमने- सामने हैं। बघेल पिछले चुनाव में बहुत कम मतों से हार गए थे। पार्टी ने उन्हें फिर मैदान में उतारा है। दोनों के बीच कांटे की टक्कर बताई जा रही है। चित्रकोट सीट पर भाजपा के बैदूराम कश्यप को कांग्रेस के नए प्रत्याशी दीपक बैज से कड़ी टक्कर मिल रही है।

नारायणपुर सीट पर भाजपा ने मंत्री केदार कश्यप को दूसरी बार फिर यहां से उतारा है जबकि कांग्रेस ने चंदन कश्यप को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस का उम्मीदवार नया है और साफ-सुथरी छवि है, वहीं मंत्री कश्यप को विकास कार्यों के बूते पर फिर सफलता मिलने की उम्मीद है।

कोंडागांव सीट पर भाजपा प्रत्याशी एवं राज्य की खेलमंत्री लता उसेंडी का एक बार फिर मुकाबला कांग्रेस के मोहन मरकाम से है। कम मतों से पिछले चुनाव में शिकस्त खा चुके मोहन मरकाम की इस बार स्थिति बेहतर होने की खबर है। इस सीट पर कांग्रेस के बागी शंकर सोढ़ी भी मैदान में हैं तथा काफी कुछ उनके प्रदर्शन पर परिणाम तय होगा।

केशकाल सीट पर भाजपा प्रत्याशी संतराम नेताम का मुकाबला कांग्रेस के संत नेताम से है। कांग्रेस के बागी दानीराम मरकाम भी मैदान में हैं और वे लड़ाई को त्रिकोणीय बनाने के प्रयास में हैं। कांकेर सीट पर कांग्रेस के शंकरलाल धुर्वा एवं भाजपा के संजय कोडपी के बीच कड़ा मुकाबला है। दोनों ही नए प्रत्याशी हैं। दोनों को भीतरघात का सामना करना पड़ रहा है।

भानुप्रतापपुर सीट पर पूर्व मंत्री कांग्रेस प्रत्याशी मनोज मंडावी का मुकाबला भाजपा के सतीश लाटिया से है। दोनों को ही भीतरघात का सामना करना पड़ रहा है। पहले मंडावी की आसान जीत दिख रही थी, पर वे कड़े मुकाबले में फंसे हैं।

अंतागढ़ सीट पर राज्य के वनमंत्री विक्रम उसेंडी फिर मैदान में हैं और उनका मुकाबला इस बार भी कांग्रेस के मंतूराम पवार से है। पवार बहुत मामूली मत से पिछला चुनाव हार गए थे। इस बार मंत्री उसेंडी का टिकट कटने की चर्चा थी लेकिन पार्टी ने फिर उन पर विश्वास किया। (वार्ता)