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Last Modified: बुधवार, 10 नवंबर 2021 (12:56 IST)

Chhath Puja Usha Arghya 2021 : 11 तारीख के उदयगामी सूर्य को किस तरह दिया जाता है अर्घ्य

Chhath Puja Usha Arghya 2021 : 11 तारीख के उदयगामी सूर्य को किस तरह दिया जाता है अर्घ्य - Chhath Puja Usha Arghya 2021
Chhath Puja Usha Arghya 2021 : खराने के भोजन को ग्रहण करने के बाद ही व्रती महिलाओं का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है। षष्ठी को संध्या के सूर्य को अर्घ्‍य देते हैं। इसके बाद सप्तमी के दिन उषा काल के सूर्य को अर्घ्य देने के बाद ही पारण करती हैं। पारण अर्थात व्रत को खोलती है। आओ जानते हैं कि उषा काल के सूर्य को किस तरह देते हैं अर्घ्य।
 
 
1. छठ पूजा: उषा अर्घ्य समय ( Chhath Puja Usha Arghya 2021 ) : 11 नवंबर (उषा अर्घ्य) सूर्योदय का समय : सुबह 06:41 बजे है।
 
2. उषा अर्घ्य अर्थात इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले नदी के घाट पर पहुंचकर उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। 
 
3. षष्ठी के दूसरे दिन सप्तमी को उषाकाल में सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया जाता है जिसे पारण कहते हैं। 
 
4. अंतिम दिन सूर्य को वरुण वेला में अर्घ्य दिया जाता है। यह सूर्य की पत्नी उषा को दिया जाता है। इससे सभी तरह की मनोकामना पूर्ण होती है।
 
5. पूजा के बाद व्रति कच्चे दूध का शरबत पीकर और थोड़ा प्रसाद खाकर व्रत को पूरा करती हैं, जिसे पारण या परना कहा जाता है। यह छठ पर्व का समापन दिन होता है।
Chhath Puja 2021
कैसे दें अर्घ्‍य 
 
'ॐ घृणिं सूर्य्य: आदित्य' 
 
1. सर्वप्रथम प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व शुद्ध होकर स्नान करें। 
 
2. तत्पश्चात उदित होते सूर्य के समक्ष जल में खड़े हो जाएं।
 
3. खड़े होकर तांबे के पात्र में पवित्र जल लें। 
 
4. उसी जल में मिश्री भी मिलाएं। तांबे के लौटे में लाल फूल, कुमकुम, हल्दी आदि डालकर सूर्य को यह जल अर्पित करते हैं। 
 
5. दोनों हाथों से तांबे के पात्र को पकड़ कर इस तरह जल चढ़ाएं  कि सूर्य जल चढ़ाती धार से दिखाई दें।
 
6. फिर दीप और धूप से सूर्य की पूजा करते हैं। 
 
अर्घ्य देते समय निम्न मंत्र का पाठ करें -
 
'ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजोराशे जगत्पते। 
अनुकंपये माम भक्त्या गृहणार्घ्यं दिवाकर:।।' (11 बार) 
 
' ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय, सहस्त्रकिरणाय। 
मनोवांछित फलं देहि देहि स्वाहा: ।।' (3 बार) 
 
तत्पश्चात सीधे हाथ की अंजूरी में जल लेकर अपने चारों ओर छिड़कें। अपने स्थान पर ही तीन बार घुम कर परिक्रमा करें। 
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