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Last Updated : बुधवार, 27 जुलाई 2022 (14:24 IST)

कॉमनवेल्थ गेम्स के भारतीय मुक्केबाजी दल में छोरियां है छोरों पर भारी

कॉमनवेल्थ गेम्स के भारतीय मुक्केबाजी दल में छोरियां है छोरों पर भारी - Women to outclass men in Indian boxing contingent of Commanwealth Games
नई दिल्ली: भारतीय मुक्केबाज जब राष्ट्रमंडल खेलों में रिंग पर उतरेंगे तो अमित पंघाल टोक्यो ओलंपिक खेलों की निराशा जबकि लवलीना बोरगोहेन विश्व चैंपियनशिप के लचर प्रदर्शन को भुलाकर वापसी करने की कोशिश करेंगे।

मौजूदा विश्व चैंपियन निकहत जरीन पर भी सभी की निगाहें टिकी रहेंगी जो अपना स्वर्णिम अभियान जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध है।

निकहत ने हाल में काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। उन्होंने राष्ट्रीय चैंपियनशिप में खिताब जीता और इसके बाद प्रतिष्ठित स्ट्रेंडजा मेमोरियल टूर्नामेंट और फिर विश्व चैंपियनशिप में भी स्वर्ण पदक हासिल किये। यह अलग बात है कि इस 26 वर्षीय मुक्केबाज को राष्ट्रमंडल खेलों में अलग तरह की चुनौती का सामना करना पड़ेगा।

निकहत 52 किग्रा में खेलती हैं लेकिन राष्ट्रमंडल खेलों में उन्हें 50 किग्रा में भाग लेना होगा। उन्हें और उनके प्रशिक्षकों को यह देखना होगा कि वह इस नए भार वर्ग में कैसे सामंजस्य बिठाती है जिससे कि वे पेरिस ओलंपिक के लिए उनका भार वर्ग तय कर सकें।

जहां तक लवलीना का सवाल है तो यह वर्ष उनके लिए उतार-चढ़ाव वाला रहा। असम की इस मुक्केबाज ने पिछले साल तोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था और तभी से उनसे अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद की जा रही है।

इस 24 वर्षीय मुक्केबाज ने स्वीकार किया टोक्यो ओलंपिक के बाद के तमाम कार्यक्रमों में भाग लेने से उनका ध्यान भंग हुआ और इससे उनके प्रदर्शन पर भी प्रभाव पड़ा। विश्व चैंपियनशिप में दो बार की कांस्य पदक विजेता लवलीना इस बार शुरुआत में ही बाहर हो गई थी। ऐसे में वह राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीतकर इस निराशा को दूर करने की कोशिश करेंगी।

पंघाल (51 किग्रा) ने पिछली बार गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीता था। इसके अलावा उन्होंने एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक हासिल किया था। उन्हें ओलंपिक में पदक का प्रबल दावेदार माना जा रहा था लेकिन वह प्री क्वार्टर फाइनल से आगे नहीं बढ़ पाए थे।

पंघाल ने इसके बाद विश्व चैंपियनशिप में हिस्सा नहीं लिया था। उन्होंने थाईलैंड ओपन में वापसी की जहां वह रजत पदक जीतने में सफल रहे। उन्हें राष्ट्रमंडल खेलों में भी पदक का प्रबल दावेदार माना जा रहा है और इस बार वह उम्मीदों पर खरा उतरने का पूरा प्रयास करेंगे।

इसी तरह से अनुभवी शिव थापा (63.5 किग्रा) भी अपने नाम पर राष्ट्रमंडल खेलों का पदक दर्ज करना चाहेंगे। इस 28 वर्षीय मुक्केबाज के नाम पर एशियाई चैंपियनशिप के पांच पदक दर्ज है। उन्होंने गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में हिस्सा नहीं लिया था।

ओलंपियन आशीष कुमार (80 किग्रा), पिछली बार के कांस्य पदक विजेता मोहम्मद हुसामुद्दीन (57 किग्रा) और एशियाई चैम्पियनशिप के स्वर्ण पदक विजेता संजीत (92 किग्रा से अधिक) भी खिताब के दावेदार हैं।

रोहित टोकस (67 किग्रा), सुमित कुंडू (75 किग्रा), और सागर (+92 किग्रा) के पास अनुभव कम है, लेकिन उनमें जबरदस्त क्षमता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि वे इन खेलों के दबाव को कैसे झेलते हैं।

महिला वर्ग में दिग्गज एमसी मेरीकॉम की अनुपस्थिति में सभी उम्मीदें लवलीना और निकहत पर टिकी होंगी, लेकिन नवोदित नीतू घंघास (48 किग्रा) और जैस्मीन लेम्बोरिया (60 किग्रा) को भी हल्के में नहीं लिया जा सकता है।(भाषा)

भारतीय टीम इस प्रकार है :

महिला: नीतू (48 किग्रा), निकहत जरीन (50 किग्रा), जैस्मीन (60 किग्रा), लवलीना बोरगोहेन (70 किग्रा)।

पुरुष: अमित पंघाल (51 किग्रा), मोहम्मद हुसामुद्दीन (57 किग्रा), शिव थापा (63.5 किग्रा) रोहित टोकस (67 किग्रा), मौजूदा राष्ट्रीय चैंपियन सुमित (75 किग्रा), आशीष कुमार (80 किग्रा), संजीत (92 किग्रा) और सागर (92 किग्रा से अधिक)।
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