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Written By Author पं. अशोक पँवार 'मयंक'

शनि-मंगल का दृष्टि संबंध रेखा के लिए अशुभ

अभिनेत्री रेखा
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प्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री रेखा का जन्म 10 अक्टूबर 1954 को सुबह 11 बजे चेन्नई (तब मद्रास) में धनु लग्न मेष नवांश व उत्तरा भाद्रपद गुरु के नक्षत्र में हुआ। रेखा का हिन्दी चित्रपट पर पदार्पण फिल्म सावन-भादौ में बतौर अभिनेत्री के रूप में हुआ था, नायक थे नवीन निश्चल। रेखा का फिल्मी सफर काफी लंबा रहा। इनमें एक से बढ़कर एक फिल्में शामिल हैं- जैसे ऐलान, उमराव जान, सिलसिला, एक ही रास्ता, कामसूत्र आदि।

रेखा आज भी किसी न किसी रूप में फिल्मों में नजर आ ही जाती हैं। पंचम भाव मनोरंजन, संतान, विद्या का है। इस भाव का व द्वादश बाहरी भाव का स्वामी मंगल लग्न में गुरु की राशि धनु में नीच के राहु के साथ बैठा है। वहीं शुक्र मंगल की राशि वृश्चिक में होकर द्वादश भाव में है। रेखा को सेक्सी अभिनेत्री के रूप में जाना जाता है। अभिनय के साथ ही नवयौवना को भी मात देने वाला रूप आज भी विद्यमान है, जो ऊर्जावान मंगल से है।

मंगल जहाँ साहस व ऊर्जावान बना रहा है वहीं नीच राहु के साथ है व मन के कारक चंद्रमा का शनि की राशि कुंभ में होना तथा शनि से मंगल का दृष्टि संबंध न मिलना दुर्भाग्य का कारण भी बना। रेखा का संबंध विनोद मेहरा से जुड़ा, वे जल्द ही इस दुनिया से विदा हो लिए। उसी प्रकार रेखा का विवाह प्रसिद्ध उद्योगपति से हुआ, कुछ सालों बाद उनका भी देहांत हो गया।
  प्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री रेखा का जन्म 10 अक्टूबर 1954 को सुबह 11 बजे चेन्नई (तब मद्रास) में धनु लग्न मेष नवांश व उत्तरा भाद्रपद गुरु के नक्षत्र में हुआ। रेखा का हिन्दी चित्रपट पर पदार्पण फिल्म सावन-भादौ में बतौर अभिनेत्री के रूप में हुआ था।      


फिर अमिताभ बच्चन से भी नाम जुड़ा, जो काफी चर्चा में रहा। जया को फिल्म सिलसिला से शक हो गया और अमितजी ने समझदारी से आपसे दूरियाँ बढ़ा लीं तथा अपना दाम्पत्य जीवन सुधार लिया।

आखिर रेखा को दाम्पत्य सुख क्यों नहीं मिला? आइए जानें किन-किन ग्रहों के कारण ऐसा हुआ। रेखा की पत्रिका में सप्तमेश बुध उच्च के शनि के साथ है, जो पंचमेश मंगल पर तृतीय दृष्टि डालने के कारण संतान सुख से वंचित कर दाम्पत्य जीवन को भी नष्ट कर दिया। सप्तम भाव जब दो कुरुप ग्रहों के मध्य हो तो दाम्पत्य जीवन नष्ट होता है। ऐसा मैंने हजारों कुंडलियों में देखा।

रेखा की पत्रिका में जहाँ शनि-मंगल का विस्फोटक योग बना वहीं राहु-केतु के मध्य कालसर्प योग भी बना। यहाँ कालसर्प योग लग्न व सप्तम से बन रहा है। सप्तभ भाव में नीच का केतु है। धन के मामले में रेखा की पत्रिका शुभ है। धनेश द्वितीय व पराक्रमेश तृतीय भाव का स्वामी उच्च का होकर एकादश आय भाव में किसी भी अशुभ ग्रहों से दृष्ट नहीं है।

एक अच्छी अभिनेत्री होने का गौरव रेखा की पत्रिका में पंचमेश मंगल का लग्न में होना व वाणी तथा स्वर भाव का स्वामी शनि के दृष्टि संबंध से मिला। फिल्मी सफर के बारे में देखा जाए तो अब नगण्य सा ही रहेगा।