कैसे रखें याद परीक्षा के दिनों में
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डॉ. अनिल कुमार शर्मा परीक्षा के दिनों में पाठ याद रखना किसी थका देने वाली कसरत से कम नहीं होता। कई बार याद किया हुआ पाठ परीक्षा हाल में घुसते ही दिमाग की अंधेरी गुफाओं में जाकर छिप जाता है। पूरे तीन घंटे बीत जाते हैं, लेकिन हर कोशिश नाकाम रहती है। जैसे ही आप परीक्षा हाल से बाहर आते हैं, सभी प्रश्नों के उत्तर एक-एक करके सामने आने लगते हैं। ऐसे में किसी दिमागी खलल को दोष देना गलत है। याद रखने के लिए सदियों से विद्वान कुछ न कुछ नया तजवीज करते आए हैं। इन नुस्खों को भी आजमाएँ, हो सकता है कि इस बार की परीक्षा में आप भी बाजी मार ले जाएँ। |
इस दुनिया में कोई परफेक्ट नहीं होता, कभी हो भी नहीं सकेगा। इसलिए अपनी गलतियों से सीखिए। नई चीजों को आजमाने से न डरें, क्योंकि नई चीजों के प्रयोग से आपके दिमाग में कई नए विचार भी आ सकते हैं। आप अपने दिमाग को आश्चर्यचकित होने दीजिए। |
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आपके शरीर की तरह आपके दिमाग को भी बेहतर काम करने के लिए व्यवस्थित रहना जरूरी है। इसके लिए कुछ टिप्स दिए जा रहे हैं। इनसे न सिर्फ आपका दिमाग तेज गति से काम करने लगेगा, बल्कि परीक्षा के लिए किसी भी पाठ को याद रखना आसान हो जाएगा।बढ़ाएँ दिमाग की ताकतआप दिमागी कसरत करने के लिए अपने आपको तैयार करें। दिमागी कसरत शारीरिक कसरत से भिन्ना होती है। हमारे देश में शतरंज की ईजाद हुई तो इसीलिए कि यह दिमाग की सबसे कठिन और जोरदार कसरत है। खैर शतरंज तो सभी नहीं खेलते हैं, लेकिन क्रासबर्ड पजल्स या कम्प्यूटर पर दिए गए गेम सालिटायर को तो लगभग सभी पसंद करते हैं। आप इनसे शुरुआत कर सकते हैं। आप यदि यह भी नहीं करना चाहते हैं तो आसान तरीका है साधारण स्तर के गुणा भाग अथवा जोड़ घटाव करना। हफ्ते में एक बार कोई कविता या जोक याद करने की कोशिश करें। इससे आपका दिमाग शेप में रहेगा और इसकी ताकत भी बढ़ेगी। हमेशा कुछ नया करने की सोच रखिए। हमेशा नए आइडियाज को सामने आने दें। इसके लिए एक बच्चे की तरह सोचना ही काफी है। बच्चे सकारात्मक ऊर्जा, विस्मित भाव और उत्सुकता से सोचते हैं। अपने आपको दिवास्वप्न देखने दीजिए। इससे मस्तिष्क तीक्ष्ण होगा और दिमाग की ताकत भी बढ़ेगी। अपने आपको केवल एक ही व्यक्ति न बनने दें। एक ही व्यक्ति में बहुत सारे व्यक्तित्व पैदा कीजिए। आप जितने अधिक से अधिक हो सकते हैं, उतने तरीकों से सोचिए।
कोई गलती न कर बैठें, इस विचार पर लगाम दीजिए। इस दुनिया में कोई परफेक्ट नहीं होता, कभी हो भी नहीं सकेगा। इसलिए अपनी गलतियों से सीखिए। नई चीजों को आजमाने से न डरें, क्योंकि नई चीजों के प्रयोग से आपके दिमाग में कई नए विचार भी आ सकते हैं। आप अपने दिमाग को आश्चर्यचकित होने दीजिए। इससे नई कलात्मक ऊर्जा का संचार होगा और आप जो कर रहे होते हैं, उसमें इसका प्रतिबिंब दिखाई देने लगता है। अपने आपसे बातें कीजिए। हो सकता है कि कोई इस प्रस्ताव को मूर्खतापूर्ण मान ले, लेकिन इससे बहुत चमत्कारिक परिणाम आते हैं। यदि आप किसी चीज को खो बैठे हों तो उसे खोजने में यह तकनीक कारगर साबित हो सकती है। तनाव आपकी याददाश्त को कमजोर कर सकता है, इसलिए जरूरी है कि आप कम से कम तनावग्रस्त रहें। इससे आपको अपना दिमाग तेज रखने में मदद मिल सकती है। आप जितने नाम याद कर सकते हैं, करें। हर नाम के साथ उस व्यक्ति के चेहरे को फिट करने की कोशिश करें। इससे निश्चित ही आपके दिमाग की खासी अच्छी कसरत हो सकेगी। अवसाद अक्सर याददाश्त को कमजोर करता है। यदि गहरे अवसाद में हों तो चिकित्सकीय सहायता लेने से न डरें। हमेशा कुछ नया करने का अर्थ है रूटीन से हटकर कुछ करें। अपनी जिंदगी को रोजाना के रूटीन से दूर कर लें। जो भी दिमाग में नया आता है, उसे लिखने की आदतडालें। जब भी पढ़ने से बोर हो जाएँ, कोई नई किताब हाथ में ले लें। हो सकता है कि इससे आपका ध्यान बोरिंग रूटीन से हटकर अलग हो जाए।याद रखने के लिए टिप्सकिसी भी बात को याद रखने के लिए दिमाग उस बात का अर्थ, मूल्य और औचित्य के आधार पर तय करता है। दिमाग की प्राथमिकता भी इसी क्रम में काम करती है। याद रखने की सबसे पहली सीढ़ी है अर्थ जानना, अतः किसी भी बात को याद रखने से उसका अर्थ जरूर समझिए। यदि अर्थ ही समझ में नहीं आया है तो रटने का कोई मतलब नहीं है। इसलिए पहले जिस बात या पाठ को याद रखना है, पहले उसका अर्थ समझिए, फिर उसका महत्व और मूल्य समझिए इसके बाद आपके जीवन में उस बात का क्या औचित्य है यह जानिए। किसी बात के प्रति आपका क्या रवैया है, इससे उस बात को याद रखने का सीधा संबंध है। यदि आप किसी बात को याद रखते समय उसके प्रति सकारात्मक रवैया रखेंगे तो वह बात या पाठ आपको पहली बार में ही याद हो जाएगा। किसी भी नई बात को समझना आपके पहले से अर्जित ज्ञान पर निर्भर है, क्योंकि तब आप नई बात को उसकी कसौटी पर रखकर जोड़ते हुए याद रख लेंगे। आप जितना मूलभूत ज्ञान बढ़ाते जाएँगे, उतना नए ज्ञान को समझना आसान होता जाएगा। यही बात याद रखने पर भी लागू होतीहै।प्राथमिकता के आधार पर तय करेंप्राथमिकता के आधार पर तय करें कि पहले क्या याद करना जरूरी है। जरूरत पड़ने पर इसके और टुकड़े कर लें और फिर याद करें। दिमाग पर सबसे गहरा और लंबे समय तक टिके रहने वाला प्रभाव केवल आकृतियों का होता है। इसलिए किसी भी पाठ को याद करते समय उसकीएक आकृति अपने मस्तिष्क में गढ़ लें। दिमाग में आकृति बन जाने से याद रखने वाला पाठ जरूरत पड़ने पर तत्काल रिकॉल किया जा सकता है।