• Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. »
  3. करियर
  4. »
  5. आलेख
Written By ND

ऐन वक्त की पढ़ाई कितनी फायदेमंद?

पढ़ाई
ND

परीक्षा का टेंशन, पेपर का दिन और दिमाग में चल रही ढेर सारी उथल-पुथल। कैसा पेपर आएगा, जितना पढ़ा है उतना काफी होगा या नहीं, क्या एक और बुक से भी पढ़ना चाहिए था, फ्रेंड ने कौन-कौन सी यूनिट्स पूरी की हैं? आदि-इत्यादि। ये एक तथ्यात्मक सत्य है कि आधे से ज्यादा विद्यार्थी परीक्षा के दो-एक महीने पहले से पढ़ाई शुरू करते हैं। मात्र कुछ प्रतिशत विद्यार्थी ही ऐसे होते हैं जो पूरे साल बकायदा टाइम-टेबल बनाकर पढ़ाई में जुटे रहते हैं।

खैर... हर एक का पढ़ने का अपना तरीका होता है और हर एक के दिमाग द्वारा उस पढ़ाई को आत्मसात करने का दायरा भी अलग-अलग होता है। अक्सर परीक्षा हॉल में जाने से पूर्व भी कई विद्यार्थी हाथ में किताबें या नोट्स लेकर पढ़ाई जारी रखते हैं। शायद यह सोचकर कि कोई भी महत्वपूर्ण बिंदु छूट न जाए या थोड़ा सा और पढ़ लें या फिर एक बार और रिवीजन कर लें। क्या वाकई ये पाँच मिनट पूर्व की पढ़ाई लाभदायक हो सकती है या फिर ये मात्र आपका भ्रम है।

आइए जानें :-
ND
'अगर सालभर आपने पढ़ाई को टाला है तो अंतिम समय पर कुछ भी नहीं किया जा सकता।' यह कहना है बीबीए की छात्रा रुचि का। वे मानती हैं कि परीक्षा चाहे कैसी भी और किसी भी तरह की हो आखिरकार आपका साथ मेहनत और टाइम टेबल के साथ की गई पढ़ाई ही देती है।

ऐन वक्त पर की गई पढ़ाई न केवल आपको कन्फ्यूज कर सकती है बल्कि यह भी हो सकता है कि आप पहले से याद चीजें भी भूल जाएँ। इसलिए बेहतर है कि परीक्षा के लिए जाते समय यदि आपको लगता भी है कि कुछ छूट गया तो, उसे भूल जाइए। वरना आप उल्टे मुसीबत में पड़ सकते हैं।

एमसीए के छात्र अर्नव कहते हैं - 'मेरे कुछ दोस्त एक्जाम हॉल में जाने के ठीक पहले तक किताब और नोट्स पढ़ते रहते हैं लेकिन मैं ऐसी 'रिस्क' नहीं लेता। 'एक बार ठीक एक्जाम के पहले मेरे एक फ्रेंड ने एक प्रश्न को लेकर मुझे कन्फ्यूज कर दिया, मैं भी उस प्रश्न को देखने बैठ गया।

अंततः कन्फ्यूजन के कारण मैं आते हुए भी वे प्रश्न परीक्षा में हल नहीं कर पाया। तब से मैंने सोच लिया है कि मैं कभी भी परीक्षा देने जाते समय कुछ भी नहीं पढ़ूँगा। जितना पढ़ना है वो एक दिन पहले ही तैयार कर लेना ज्यादा अच्छा है। तब आप फ्रेश मूड से एक्जाम दे पाते हैं। (नायिका ब्यूरो)